ॐ सांई राम
हो मन्दिर की सीढ़ी या मस्जिद का ज़ीना, गुरुद्वार या गिरजाघर साईं बाबा
सरोवर का तल क्या है सागर से गहरी, तेरी एकता की नज़र साईं बाबा
तू है दीनबन्धु, तू दुखियों का रक्षक, तू सच्चाइयों का शिखर साईं बाबा
तेरे सदविचारों का उस दिल पे मेरे, कुछ ऐसा हुआ है असर साईं बाबा
जहाँ देखता हूँ, वहाँ तू ही तू है, इधर साईं बाबा उधर साईं बाबा
तू रामा का प्यारा तू रब का दुलारा, हे साईं कृष्णा का अवतार है तू
निगाहों में तेरी कोई सिक्ख नहीं है, न ईसाई कोई न मुस्लिम न हिन्दू
तेरी भावना का धनुष है रंगीला, बदन में है समता के फूलों की खुशबू
तेरा नाम जपते हैं मथुरा के पण्डित, तेरे दर पे आते हैं काशी के साधू
सुना है के बैकुण्ठ से भी ज्यादा, मनोहर है तेरा नगर साईं बाबा
निराशा के वन में समन्वय की बन्सी, बजाई है तूने ऐ शिर्डी के गिरधर
नहीं कोई भेद-भाव तेरे दर पे साईं, तेरा दर है भक्ति के उपकार का दर
दयावान देवा तू भरता है झोली, बनाता है दुखियों के बिगड़े मुक़द्दर
मोहोब्बत की शिक्षा तू देता है भिक्षा, ऐ निर्धन के स्वामी दया के समन्दर
श्रद्धा सबुरी है आवाज़ तेरी, निराली है तेरी डगर साईं बाबा
कई साल पहले मैं भटका हुआ था, शरारत के पानी मैं डूबी थी काया
बड़े ही अदब से मेरे सर पे जब से, विराजी है साईं तेरी हस्त छाया
समझ में ये आया के छल और कपट से, ज्यादा है बेहतर मोहोब्बत की माया
न दुश्मन है कोई न बेगाना कोई, न बैरी कोई न कोई है पराया
तिमिर के शिविर में सिखाया है तूने, मुझे मित्रता का हुनर साईं बाबा
जहाँ देखता हूँ, वहाँ तू ही तू है, इधर साईं बाबा उधर साईं बाबा
हो मन्दिर की सीढ़ी या मस्जिद का ज़ीना, गुरुद्वार या गिरजाघर साईं बाबा
सरोवर का तल क्या है सागर से गहरी, तेरी एकता की नज़र साईं बाबा
तू है दीनबन्धु, तू दुखियों का रक्षक, तू सच्चाइयों का शिखर साईं बाबा
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।