ॐ सांई राम
श्री साईं वाणी (भाग 2)
साईं नाम के भरो भण्डार, साईं नाम का सद्व्यवहार |
यहाँ नाम की करो कमाई, वहाँ न होय कोई कठिनाई ||
झोली साईं नाम से भरिये, संचित साईं नाम धन करिये |
जुड़े नाम का जब धन माल, साईं कृपा ले अंत संभाल ||
साईं साईं पढ़ शक्ति जगावे, साईं साईं धुन जभी रमावे |
साईं नाम जब जगे अभंग, चेतन भाव जगे सुख संग ||
भावना भक्ति भरे भजनीक, भजते साईं नाम रमणीक |
भजते भक्त भाव भरपूर, भ्रम भय भेदभाव से दूर ||
साईं साईं सुगुणी जन गाते, स्वर सँगीत से साईं रिझाते |
कीर्तन कथा करते विद्वान, सार सरस संग साधनवान ||
काम क्रोध और लोभ ये, तीन पाप के मूल |
नाम कुल्हाड़ी हाथ ले, कर इनको निर्मूल ||
साईं नाम है सब सुख खान, अंत करे सब का कल्याण |
जीवन साईं से प्रीती कराना, मरना मन से साईं न बिसारना ||
साईं भजन बिना जीवन जीना, आठों पहर हलाहल पीना |
भीतर साईं का रूप समावे, मस्तक पर प्रतिमा छा जावे ||
जब जब ध्यान साईं का आवे, रोम रोम पुलकित हो जावे |
साईं कृपा सूरज का उगना, हृदय साईं पंकज खिलना ||
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं===