ॐ सांई राम
मेरी चाहत है सांई , तेरा दर्शन मै पाऊं
तेरी किरपा से सांई , मैं भव से तर जाऊं
हृदय से लगा लो सांई , मैं माला बन जाऊं
तेरी किरपा से सांई , मैं भव से तर जाऊं
मेरी चाहत है सांई , तेरा दर्शन मै पाऊं
तेरी किरपा से सांई , मैं भव से तर जाऊं
मुझे दर्शन दे दो सांई, मैं कायल बन जाऊं
तेरी पालकी की सवारी का, मै कान्धा बन जाऊं
तेरी द्वारका माई का सांई, मै पत्थर बन जाऊं
तेरी किरपा से सांई, मैं भव से तर जाऊं
मेरी चाहत है सांई, तेरा दर्शन मै पाऊं
तेरी किरपा से सांई, मैं भव से तर जाऊं
मुझे छू लो हाथों से, फूल मैं बन जाऊं
गर छोडो हाथ मेरा, सांई मै मर जाऊं
तेरी किरपा से सांई, मैं भव से तर जाऊं
मेरी चाहत है सांई, तेरा दर्शन मै पाऊं
तेरी किरपा से सांई, मैं भव से तर जाऊं
यह भजन माला बहन रविंदर जी के गुलदस्तें से ली गयी है...