ॐ साँँई राम
व्यर्थ गवाया इस जीवन को पुनर्जन्म जब पाऊँ
साँँईं तेरे मंदिर की मैं घन्टी बन कर आऊँ
साँझ सकारे मन को तुम्हारे लगते हैं जो प्यारे
घन्टी के वो बोल मैं बन कर गून्जूं तेरे द्वारे
भक्तों के हाथों पर पल हर दिन टन टन बजता जाऊँ
साँँईं तेरे मंदिर की मैं घन्टी बन कर आऊँ
चांदों का चाँद और तारों का तारा सब भक्तों का प्यारा
स्वर्ग से सुन्दर जग से न्यारा साँँईं धाम तुम्हारा
उतनी ही कम है तेरी प्रशंसा जितनी करता जाऊँ
साँँईं तेरे मंदिर की मैं घन्टी बन कर आऊँ
तेरी भक्ति तेरी पूजा में ही मन हो डूबा
इतनी शक्ति दे तू साँँईं काम करूँ न कोई दूजा
तेरे नाम की ही माला मैं हर दम जपता जाऊँ
साँँईं तेरे मंदिर की मैं घन्टी बन कर आऊँ
व्यर्थ गवाया इस जीवन को पुनर्जन्म जब पाऊँ
साँँईं तेरे मंदिर की मैं घन्टी बन कर आऊँ
बाबा तेरे मंदिर की मैं घन्टी बन कर आऊँ
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