ॐ साईं राम
बाबाजी ने सुनी है मेरी पुकार,
बुलाया है मुझे अपने दरबार,
दरबार में साईं जी के,
हर पाप मिट जाते है,
अपने दुखो को भूलकर,
खुशियाँ हम पाते है,
साईं के दरबार में,
आता है मुझे करार,
इसीलिए बाबाजी से मैंने,
की थी फरियाद,
बाबाजी ने सुनी है मेरी पुकार,
बुलाया है मुझे अपने दरबार ,
समाधी मंदिर जाकर,
दर्शन साईं के पाऊँगी,
अपना सब हाल बाबा को सुनाऊंगी,
बस एक बाबा ही तो,
सुनते है मेरी फरियाद ,
और क्यों जाऊं मैं,
किसी और के द्वार,
बाबाजी ने सुनी है मेरी पुकार,
बुलाया है मुझे अपने दरबार,
द्वारकामाई की गोद में,
नींद प्यारी मुझे आती है,
वह पर मेरे साईं की ,
परछाई नज़र मुझे आती है,
करते है साईंजी,
मुझसे भी बहुत प्यार,
इसीलिए साईंजी ने बुलाया है,
मुझे अपने दरबार
बाबाजी ने सुनी है मेरी पुकार,
बुलाया है मुझे अपने दरबार
बुलाया है मुझे अपने दरबार,
दरबार में साईं जी के,
हर पाप मिट जाते है,
अपने दुखो को भूलकर,
खुशियाँ हम पाते है,
साईं के दरबार में,
आता है मुझे करार,
इसीलिए बाबाजी से मैंने,
की थी फरियाद,
बाबाजी ने सुनी है मेरी पुकार,
बुलाया है मुझे अपने दरबार ,
समाधी मंदिर जाकर,
दर्शन साईं के पाऊँगी,
अपना सब हाल बाबा को सुनाऊंगी,
बस एक बाबा ही तो,
सुनते है मेरी फरियाद ,
और क्यों जाऊं मैं,
किसी और के द्वार,
बाबाजी ने सुनी है मेरी पुकार,
बुलाया है मुझे अपने दरबार,
द्वारकामाई की गोद में,
नींद प्यारी मुझे आती है,
वह पर मेरे साईं की ,
परछाई नज़र मुझे आती है,
करते है साईंजी,
मुझसे भी बहुत प्यार,
इसीलिए साईंजी ने बुलाया है,
मुझे अपने दरबार
बाबाजी ने सुनी है मेरी पुकार,
बुलाया है मुझे अपने दरबार
अगर नज़रे साईंजी को देखना चाहें तो आँखों का क्या कसूर,
हर वक़्त खुशबु साईं की आये तो साँसों का क्या कसूर,
सपनों में साईंजी शिर्डी बुलाये तो रातों का क्या कसूर
हर वक़्त खुशबु साईं की आये तो साँसों का क्या कसूर,
सपनों में साईंजी शिर्डी बुलाये तो रातों का क्या कसूर