शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Wednesday, 17 February 2016

जिस राह पर साईं तेरा ही दर हो, उस राह पर ही मैं जाऊं

ॐ सांई राम




जैसे जलती हुई आग से तूने नन्ही सी जां को बचाया

जलती हुई आग से तूने नन्ही सी जां को बचाया

नन्ही सी जां को बचाया

ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है मैं जब से शरण तेरी--

आया साईं राम

आया साईं राम


अनजान था तेरे रहमों करम सेतुझको न पहचान पाया

तुझको न पहचान पाया

मेरे भी पापों भरे मन पे कर दोअपनी कृपा की वो छाया

अपनी कृपा की वो छाया

किसी लड़खड़ाते हुए जीव को जो किसी ने सहारा दिखाया

ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है मैं जब से शरण तेरी--

आया साईं राम

आया साईं राम


पारस भी बन जाये कंचन के जैसासाईं कृपा हो तेरी

साईं कृपा हो तेरी

तेरे ही चरणों में संवरेगी साईं काया बनी है जो मेरी

काया बनी है जो मेरी

सदियों से प्यासे नैनों ने जैसे सूरज का दर्शन पाया

ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है मैं जब से शरण तेरी--

आया साईं राम

आया साईं राम


जिस राह पर साईं तेरा ही दर होउस राह पर ही मैं जाऊं

उस राह पर ही मैं जाऊं

उस राह के काँटों से जलते अंगारों सेमैं न कभी डगमगाऊं

मैं न कभी डगमगाऊं

शबरी ने जैसे भगवन की राहों में , हर पल नैनों को बिछाया

ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है मैं जब से शरण तेरी--

आया साईं राम

आया साईं राम
यह प्रस्तुति बहन रविंदर जी द्वारा प्रस्तुत की जा रही है
There was Laxmibai a devotee, who sent Baba very lovingly jowar bhakhri and vegetables every day at appointed time.
Once Laxmibai paid obeisance  to Sai Baba. Then Baba said to her,“Laxmi, I am feeling very hungry”.
“Baba, I will go this instance and get some bhakhri for You”. So said Laxmibai.
She went to her home, baked some fresh bhakhri. along with it she brought vegetables etc., and placed the prepared dish before Baba.
Baba picked up the dish and placed it before a hungry dog. Laxmi asked at once, “Baba, what is this you have done? So hastily that i went and prepared bhakhri with love, – and is this all it’s fruit? It is the dog that You gave true enjoyment. You were feeling hungry, but is this anyway to appease this hunger? Not a morsel did you put in your mouth and here am I fretting in vain!”
Then Baba said to her, “Why do you feel sad, needlessly? Know that the satiety of this dog is my own satiety. Does this dog not have life? All living creatures experience the same hunger. Though he is dumb and I am vocal, is there any difference in the hunger? Know that those who give food to the one suffering the pangs of hunger are really putting it in my mouth. And this is true everywhere.
Kindly Provide Food & clean drinking Water to Birds & Other Animals,
This is also a kind of SEWA.

For Donation

For donation of Fund/ Food/ Clothes (New/ Used), for needy people specially leprosy patients' society and for the marriage of orphan girls, as they are totally depended on us.

For Donations, Our bank Details are as follows :

A/c - Title -Shirdi Ke Sai Baba Group

A/c. No - 200003513754 / IFSC - INDB0000036

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Gautam Budh Nagar, Uttar Pradesh. INDIA.

बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.