ॐ सांई राम
जैसे जलती हुई आग से तूने नन्ही सी जां को बचाया
जलती हुई आग से तूने नन्ही सी जां को बचाया
नन्ही सी जां को बचाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है मैं जब से शरण तेरी--
आया साईं राम
आया साईं राम
अनजान था तेरे रहमों करम से, तुझको न पहचान पाया
तुझको न पहचान पाया
मेरे भी पापों भरे मन पे कर दो, अपनी कृपा की वो छाया
अपनी कृपा की वो छाया
किसी लड़खड़ाते हुए जीव को जो किसी ने सहारा दिखाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है मैं जब से शरण तेरी--
आया साईं राम
आया साईं राम
पारस भी बन जाये कंचन के जैसा, साईं कृपा हो तेरी
साईं कृपा हो तेरी
तेरे ही चरणों में संवरेगी साईं , काया बनी है जो मेरी
काया बनी है जो मेरी
सदियों से प्यासे नैनों ने जैसे , सूरज का दर्शन पाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है मैं जब से शरण तेरी--
आया साईं राम
आया साईं राम
जिस राह पर साईं तेरा ही दर हो, उस राह पर ही मैं जाऊं
उस राह पर ही मैं जाऊं
उस राह के काँटों से , जलते अंगारों से, मैं न कभी डगमगाऊं
मैं न कभी डगमगाऊं
शबरी ने जैसे भगवन की राहों में , हर पल नैनों को बिछाया
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है मैं जब से शरण तेरी--
आया साईं राम
आया साईं राम
यह प्रस्तुति बहन रविंदर जी द्वारा प्रस्तुत की जा रही है
There was Laxmibai a devotee, who sent Baba very lovingly jowar bhakhri and vegetables every day at appointed time.
Once Laxmibai paid obeisance to Sai Baba. Then Baba said to her,“Laxmi, I am feeling very hungry”.
“Baba, I will go this instance and get some bhakhri for You”. So said Laxmibai.
She went to her home, baked some fresh bhakhri. along with it she brought vegetables etc., and placed the prepared dish before Baba.
Baba picked up the dish and placed it before a hungry dog. Laxmi asked at once, “Baba, what is this you have done? So hastily that i went and prepared bhakhri with love, – and is this all it’s fruit? It is the dog that You gave true enjoyment. You were feeling hungry, but is this anyway to appease this hunger? Not a morsel did you put in your mouth and here am I fretting in vain!”
Then Baba said to her, “Why do you feel sad, needlessly? Know that the satiety of this dog is my own satiety. Does this dog not have life? All living creatures experience the same hunger. Though he is dumb and I am vocal, is there any difference in the hunger? Know that those who give food to the one suffering the pangs of hunger are really putting it in my mouth. And this is true everywhere.
Kindly Provide Food & clean drinking Water to Birds & Other Animals,
This is also a kind of SEWA.