सुगम जो चाहो करना दूर्गम पथ
हाँकों उजले कर्मों की ओर रथ
कांटे भी बन सकते हैं कोमल फूल
सबका मालिक एक हैं ये कभी मत भूल
झूठ नहीं हैं सत्य हैं वाणी
दीपक जलते जहाँ संग पानी
उदी की भी महिमा हैं निराली
साँई ने नीम भी मीठी कर डाली
और करिश्मों की क्या करे बात
गंगा यमुना बहे चरणों मे साथ
चरण नहीं यह हैं स्वर्ग समाना
भव से हुआ पार जो साँई को जाना
काहे करें तू हठ ओ पगले
साँई सिमर, साँई को जपले
इस जन्म की साँई नाम कमाई
संवार देगी तेरे जन्म भी अगले
झूठे बोल ना जीवन में घोल
सच हैं समझ ले तू अनमोल
साँई हैं साँचा जग नरक समान
सौंप दे साँई को जीवन की कमान
नाम ही नहीं सिर्फ एक सार भी हैं
शिर्डी के साँई बाबा ग्रुप परिवार ही हैं
जहाँ के मुखिया बाबा तारणहार हैं
साँई सम शोभा वाला यह घरबार हैं
साँई हाथ जिस डोर को थामे
नहीं हो सकता वह कभी लाचार
हर संभव प्रयास साँई राम का
तेरी मुश्किल से होगा दो चार