ॐ सांई राम
सांई दर आप का बरकतों का भण्डार है,
तुझे तो मेरे सांई सभी से ही प्यार है,
तेरा भक्त प्यासा है तेरे इस प्यार का,
तेरा भक्त प्यासा है तेरे इस प्यार का,
तेरे दुलार का, तेरे दीदार का,
इस दर से कोई गया न निराश है,
मेरे दिल में भी इक यही आस है,
कैसा भी हूँ सांई मुझे अपनाओंगे तुम,
कैसा भी हूँ सांई मुझे अपनाओंगे तुम,
मुझे अपने हृदय से लगाओगे तुम,
ये दिल में आज ठाना है मैने,
तुझे देखे बिना नहीं जाना है मैने,
झोली भर के ही जाऊंगा मैं,
झोली भर के ही जाऊंगा मैं,
जिद्द ये मेरी है तुम्हे आना पङेगा,
मुझे अपने हृदय से लगाना पङेगा,
पापी हूँ, पतित हूँ, कुटिल हूँ चाहे,
पर भक्त हूँ तेरा ये मानना पङेगा,
पर भक्त हूँ तेरा ये मानना पङेगा,
पुकार ये आज तुझे सुननी पङेगी,
नहीं तो भक्त तुझसे लड़ पड़ेगा,
तूं मान या न मान, तुझे प्यार है मुझसे,
मैने जो पुकारा तुझे आना पड़ेगा,
मैने जो पुकारा तुझे आना पड़ेगा,
आकर मुझे अपने हृदय से लगाना ही पङेगा