हमारे सदगुरू श्री साँई नाथ महाराज जी हमे आज भी याद है वो हसीन लम्हे, जब हम आपके दरबार में, आप से मिलने आया करते थे, किसी की भी रोक टोक नहीं हुआ करती थी, जी भर के निहारते थे, कोई समय सीमा तय भी नहीं थी आपसे मिलने की।
आज भी बहुत ही सुखद अनुभव होता हैं, आपके हमक्ष खड़े हो कर अपनी किस्मत पर नाज़ भी होता है, और आपका हमें अपने दरबार में हाजिर होने देने का गरूर भी।
बाबा जी आज सेकेंड की सुई की रफ्तार से भी तेज आपके भक्तों की संख्या में इजाफा हो रहा है, इस कारण से एक बात पक्की है कि अब तो जिस ओर भी नज़र घुमा कर देखो बस आपके दर्शन पा सकते हैं।
पर आज शिर्डी में आप से मुलाकात की समय सीमा तय कर दी गई हैं, अब तो जी भर के निहारने भी नहीं देते हैं आपके दरबार में तैनात सिपाही।
दर्शन तो आपके बाबा जी हम मन की आँखों से भी भली भाँति कर लेते हैं पर इस रूह को तो सूकून ही आपके श्री चरणों में दंडवत नतमस्तक हो कर मिलता है ।
बाबा जी आज आपसे प्रार्थना है कि आप किसी पंजाबी पूत्तर, तमिल अन्ना, बंगाली बाबू या सिर्फ मराठी माणूस के हो कर मत रह जाना।
हमने तो एक ही पाठ पढ़ा है सबक का और वो पाठ हैं, "सबका मालिक एक"।
और इस पाठ को पढ़ाया भी आपने ही है। अब बाबा जी मैं और क्या बोलू दिल की बात जान लेते हो, यहां तो हमने फिर पुनर्विचार हेतु अर्जी ही लिख डाली है ।
।।बाबा जी कृपा बनाए रखना।।