ॐ सांई राम
Shirdi ke Sai Baba ka Sai-Sandesh
"मुझ पर पूर्ण विश्वास रखो | यधपि मै देहत्याग भी कर दूँगा, परन्तु फिर भी मेरी अस्थियाँ आशा और विश्वास का संचार करती रहेंगी | केवल मै ही नहीं, मेरी समाधि भी वार्तालाप करेगी, चलेगी, फिरेगी, ओर उन्हें आशा का सन्देश पहुँचाती रहेगी, जो अनन्य भाव से मेरे शरणागत होंगे |
निराश न होना कि मै तुमसे विदा हो जाऊँगा | तुम सदैव मेरी अस्थियों को भक्तों के कल्याणार्थ ही चिंतित पाओगे | यदि मेरा निरंतर स्मरण और मुझ पर दृढ विश्वास रखोगे तो तुम्हें अधिक लाभ होगा | "
मुझे विश्वास है मेरी सदा न जायेगी खाली
तुम पधारो मेरे घर आयेगी दीवाली - 2
तेरी चरणरच पाने का मुझे इन्तजार - 2
कैसे कहूँ बाबा तुमसे कितना प्यार है – 2
तेरे कदमों की आहट का मुझे इन्तजार है - 2
कैसे कहूँ बाबा तुमसे कितना प्यार है – 2
एक साम्प्रदायिक कविता
मैं हिन्दू हूँ
मैं मुस्लिम से नफरत करता हूँ.
मैं सिखों से भी नफरत करता हूँ,
मुस्लिम और सिख एक दूसरे से नफरत करते हैं,
दुश्मन का दुश्मन, 'दोस्त' होता है,
दोस्त का दुश्मन, 'दुश्मन' ,
इस तरह,
मैं हिन्दुओं से भी नफरत करता हूँ.
दुनियाँ की महान नफरतों,
...अफ़सोस !!
तुम्हारे कारण....
मेरी कविता में 'प्रेम' कहीं नहीं है.
ॐ नमः शिवाय






