ॐ साँई राम
जो शिरडी आएगा, आपद दूर भगाएगा।
चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर।
त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा।
मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पुरी आस।
मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो।
मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताये।
जैसा भाव रहे जिस मनका, वैसा रूप हुआ मेरे मन का।
भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा।
आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर।
मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया।
धन्य -धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य।
.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साँईनाथ महाराज की जय.....