पत्थर की शिला से स्वर्ण सिंहासन पाया
मखमल आज पहने कफनी पहनने वाला
सादा लिबास मन पवित्र मीठी वाणी
जो समझा उसनें समाधि की सीढ़ी चढ़ जानी
चढ़े समाधि की सीढ़ी पर
पैर तले दुख की पीढ़ी कर
बाबा जी के इस वचन का सही अर्थ यह है कि यदि आप मेरे द्वारा अपनाए गए रास्ते पर चलते हैं तो दुख की परिभाषा भी भूल जाओगे ।
ऐसा नहीं है कि बाबा जी की समाधि पर जा कर चढ़ गए और दुख दूर हो गये ।
मैंने इस वचन का सही अर्थ मेरे गुरु जी श्री मनीष बग्गा जी के मुख से जाना है ।
बोलिये समर्थ सदगुरु श्री साँईं नाथ महाराज की जय