शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

************************************

निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

************************************

Saturday 27 June 2015

माँ लक्ष्मी जी की वंदना

ॐ सांई राम


लक्ष्मी वंदना
या सा पद्मासनास्था विपुलकटितटि पद्मपत्रायताक्षी।
गम्भीरावर्तनाभि स्तनभरनमिता शुभ्रवस्त्रोत्तरीया॥
या लक्ष्मी दिव्यरुपै: मणिगणखचितै: स्नापिता हेम कुम्भै:।
सा नित्यं पद्महस्ता मम वसतु गृहे सर्वमांगल्ययुक्ता॥

अष्लक्ष्मी स्तोत्र
 आदिलक्ष्मी
 सुमनसवन्दित सुन्दरि माधवि चन्द्र सहोदरि हेममये l
मुनिगणमण्डित मोक्षप्रदायिनि मञ्जुळभाषिणि वेदनुते ll
पङ्कजवासिनि देवसुपूजित सद्गुणवर्षिणि शान्तियुते l
जयजय हे मधुसूदन कामिनि आदिलक्ष्मि सदा पालय माम् ll
धान्यलक्ष्मी
अहिकलि कल्मषनाशिनि कामिनि वैदिकरूपिणि वेदमये l
क्षीरसमुद्भव मङ्गलरूपिणि मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते ll
मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि देवगणाश्रित पादयुते l
जयजय हे मधुसूदन कामिनि धान्यलक्ष्मि सदा पालय माम् ll
धैर्यलक्ष्मी
जयवरवर्णिनि वैष्णवि भार्गवि मन्त्रस्वरूपिणि मन्त्रमये l
सुरगणपूजित शीघ्रफलप्रद ज्ञानविकासिनि शास्त्रनुते ll
भवभयहारिणि पापविमोचनि साधुजनाश्रित पादयुते l
जयजय हे मधुसूदन कामिनि धैर्यलक्ष्मि सदा पालय माम् ll
गजलक्ष्मी
जयजय दुर्गतिनाशिनि कामिनि सर्वफलप्रद शास्त्रमये l
रथगज तुरगपदादि समावृत परिजनमण्डित लोकनुते ll
हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित तापनिवारिणि पादयुते l
जयजय हे मधुसूदन कामिनि गजलक्ष्मि रूपेण पालय माम् ll
सन्तानलक्ष्मी
अहिखग वाहिनि मोहिनि चक्रिणि रागविवर्धिनि ज्ञानमये l
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि स्वरसप्त भूषित गाननुते ll
सकल सुरासुर देवमुनीश्वर मानववन्दित पादयुते l
जयजय हे मधुसूदन कामिनि सन्तानलक्ष्मि त्वं पालय माम् ll
विजयलक्ष्मी
जय कमलासनि सद्गतिदायिनि ज्ञानविकासिनि गानमये l
अनुदिनमर्चित कुङ्कुमधूसर भूषित वासित वाद्यनुते ll
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित शङ्कर देशिक मान्य पदे l
जयजय हे मधुसूदन कामिनि विजयलक्ष्मि सदा पालय माम् ll
विद्यालक्ष्मी
प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि शोकविनाशिनि रत्नमये l
मणिमयभूषित कर्णविभूषण शान्तिसमावृत हास्यमुखे ll
नवनिधिदायिनि कलिमलहारिणि कामित फलप्रद हस्तयुते l
जयजय हे मधुसूदन कामिनि विद्यालक्ष्मि सदा पालय माम् ll
धनलक्ष्मी
धिमिधिमि धिंधिमि धिंधिमि धिंधिमि दुन्दुभि नाद सुपूर्णमये l
घुमघुम घुंघुम घुंघुम घुंघुम शङ्खनिनाद सुवाद्यनुते ll
वेदपुराणेतिहास सुपूजित वैदिकमार्ग प्रदर्शयुते l
जयजय हे मधुसूदन कामिनि धनलक्ष्मि रूपेण पालय माम् ll

श्री लक्ष्मी स्तुति
 इन्द्र उवाच 
नमस्तस्यै सर्वभूतानां जननीमब्जसम्भवाम्
श्रियमुनिन्द्रपद्माक्षीं विष्णुवक्षःस्थलस्थिताम् ॥
पद्मालयां पद्मकरां पद्मपत्रनिभेक्षणाम्
वन्दे पद्ममुखीं देवीं पद्मनाभप्रियाम्यहम् ॥
त्वं सिद्धिस्त्वं स्वधा स्वाहा सुधा त्वं लोकपावनी
सन्धया रात्रिः प्रभा भूतिर्मेधा श्रद्धा सरस्वती ॥
यज्ञविद्या महाविद्या गुह्यविद्या च शोभने
आत्मविद्या च देवि त्वं विमुक्तिफलदायिनी ॥
आन्वीक्षिकी त्रयीवार्ता दण्डनीतिस्त्वमेव च
सौम्यासौम्येर्जगद्रूपैस्त्वयैतद्देवि पूरितम् ॥
का त्वन्या त्वमृते देवि सर्वयज्ञमयं वपुः
अध्यास्ते देवदेवस्य योगिचिन्त्यं गदाभृतः ॥
त्वया देवि परित्यक्तं सकलं भुवनत्रयम्
विनष्टप्रायमभवत्त्वयेदानीं समेधितम् ॥
दाराः पुत्रास्तथाऽऽगारं सुहृद्धान्यधनादिकम्
भवत्येतन्महाभागे नित्यं त्वद्वीक्षणान्नृणाम् ॥
शरीरारोग्यमैश्वर्यमरिपक्षक्षयः सुखम्
देवि त्वदृष्टिदृष्टानां पुरुषाणां न दुर्लभम् ॥
त्वमम्बा सर्वभूतानां देवदेवो हरिः पिता
त्वयैतद्विष्णुना चाम्ब जगद्वयाप्तं चराचरम् ॥
मनःकोशस्तथा गोष्ठं मा गृहं मा परिच्छदम्
मा शरीरं कलत्रं च त्यजेथाः सर्वपावनि ॥
मा पुत्रान्मा सुहृद्वर्गान्मा पशून्मा विभूषणम्
त्यजेथा मम देवस्य विष्णोर्वक्षःस्थलाश्रये ॥
सत्त्वेन सत्यशौचाभ्यां तथा शीलादिभिर्गुणैः
त्यज्यन्ते ते नराः सद्यः सन्त्यक्ता ये त्वयाऽमले ॥
त्वयाऽवलोकिताः सद्यः शीलाद्यैरखिलैर्गुणैः
कुलैश्वर्यैश्च युज्यन्ते पुरुषा निर्गुणा अपि ॥
सश्लाघ्यः सगुणी धन्यः स कुलीनः स बुद्धिमान्
स शूरः सचविक्रान्तो यस्त्वया देवि वीक्षितः ॥
सद्योवैगुण्यमायान्ति शीलाद्याः सकला गुणाः
पराङ्गमुखी जगद्धात्री यस्य त्वं विष्णुवल्लभे ॥
न ते वर्णयितुं शक्तागुणञ्जिह्वाऽपि वेधसः
प्रसीद देवि पद्माक्षि माऽस्मांस्त्याक्षीः कदाचन ॥

For Donation

For donation of Fund/ Food/ Clothes (New/ Used), for needy people specially leprosy patients' society and for the marriage of orphan girls, as they are totally depended on us.

For Donations, Our bank Details are as follows :

A/c - Title -Shirdi Ke Sai Baba Group

A/c. No - 200003513754 / IFSC - INDB0000036

IndusInd Bank Ltd, N - 10 / 11, Sec - 18, Noida - 201301,

Gautam Budh Nagar, Uttar Pradesh. INDIA.

बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.