शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Tuesday, 2 December 2014

श्री गुरु हरिराय जी जीवन – परिचय

श्री गुरु हरिराय जी जीवन – परिचय





श्री गुरु हरिराय जी जीवन – परिचय


प्रकाश उत्सव (जन्म की तारीख): 1630
Parkash Ustav (Birth date): 1630 

पिता: बाबा गुरदित्ता जी
Father: Baba Gurditta Ji 

माँ: माता निहाल कौर जी
Mother: Mata Nihal Kaur Ji 

महल (पति या पत्नी): माता कृष्ण कौर
Mahal (spouse): Mata Krishen Kaur 

साहिबज़ादे (वंश): राम राय, हर्क्रिशन जी
Sahibzaday (offspring): Ram Rai, HarKrishan ji 

ज्योति ज्योत (स्वर्ग करने के उदगम): 6 अक्टूबर 1661
Joti Jyot (ascension to heaven): October 6, 1661


गुरु मंगल 

दोहरा-कथा गुरु हरि राय की सुनो श्रोता सावधान||
पावन पुन उपावनी गण पापन की हान||




श्री गुरु हरि राय जी श्री बाबा गुरदित्ता जी के घर माता निहाल कौर जी की कोख से माघ सुदी १३ संवत १६८१ विक्रमी को करतारपुर के स्थान पर अवतार धारण किया|

बाबा गुरुदित्ता जी ने जब १० संवत १६९५ को शरीर त्यागा तो १३वे वाले दिन दस्तारबंदी के समय हरि राये जी करतारपुर से नहीं आये तो गुरु जी ने सम्बन्धियों और भाई भाना आदि गुरुसिखो से सलाह करके बाबा जी के छोटे सुपुत्र श्री हरि राये को हर प्रकार से योग्य जानकर दस्तारबंदी करके गुरुदित्ता जी का अधिकारी नियत कर दिया|

श्री हरि राये जी अपने प्रण के पक्के थे|एक दिन गुरु हरिगोबिंद जी बाग की सैर करने आपको साथ ले गये|श्री हरि राये जी गुरु जी के पीछे-२ ही जा रहे थे कि उनके जमे के साथ अटककर कली का फूल जमीन पर गिर गया|गुरु जी ने जब ऐसा देखा तो श्री हरि राये को कहने लगे कि अगर लंबा जामा पहनना हो तो संभल कर चला करो|बेपरवाही अच्छी नहीं होती| यह बात सुनकर हरि राये जी ने गुरु जी से क्षमा माँगी ,साथ ही साथ प्रण भी किया के आगे से जामा ऊँचा उठा कर रखेंगे|और यह प्रण आप ने जीवन भर निभाया|

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बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.