शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Friday, 19 September 2014

श्री गुरु नानक देव जी – साखियाँ - हसन अब्दाल - वली कंधारी का अहंकार तोड़ना (पंजा साहिब)

श्री गुरु नानक देव जी – साखियाँ




हसन अब्दाल - वली कंधारी का अहंकार तोड़ना (पंजा साहिब)

गुरु जी होती मरदान और नौशहरे से होते हुआ हसन अब्दाल से बहार पहाड़ी के नीचे आकर बैठ गए| उस पहाड़ी पर एक वली कंधारी रहता था जिसे अपनी करामातो पर बहुत अहंकार था| इसके साथ की पहाड़ी पर ही पानी का एक चश्मा निकलता था| गुरु जी ने उसका अहंकार तोड़ने के लिए मरदाने को उस पहाड़ी पर चश्मे का पानी लाने के लिए भेजा| पर वली कंधारी ने वहाँ से पानी लाने को मना कर दिया| उसने कंधारी के आगे बहुत मिन्नतें की पर वली ने कहा अगर तेरा पीर शक्तिशाली है तो वह नया चश्मा निकालकर तुम्हे पानी दे|जब यह बातें मरदाने ने आकर गुरु जी को बताई तो गुरु जी (श्री गुरु नानक देव जी) ने मरदाने से कहा की सतिनाम कहकर एक पत्थर उठाकर दूसरी तरफ रखदो, करतार के हुक्म से पानी का चश्मा चल पड़ेगा| जब पत्थर के नीचे से पानी का चश्मा निकला तो इसके चलने से ही पहाड़ी पर वली कंधारी का चश्मा बंद हो गया|

जब वली कंधारी ने यह देखा की उसका चश्मा बंद हो गया है और नीचे की पहाड़ी का चश्मा चल रहा है तो उसने क्रोध में आकर अपनी पूरी शक्ति के साथ पहाड़ी की एक चट्टान को गुरु जी की तरफ फैंक दिया| पर गुरु जी ने उसे अपने हाथ के पंजे से रोक दिया| गुरु जी की यह दोनो शक्तियाँ, पहले पानी का चश्मा नीचे लेके आना और दूसरा पहाड़ को पंजे से रोकना, से वली कंधारी का अहंकार टूट गया और गुरु जी से अपने अपमान भरे शब्दों के कारण माफ़ी मांगने लगा|

गुरु जी (श्री गुरु नानक देव जी) के हाथ से लगा हुआ पंजे वाला पत्थर अभी तक गुरुद्वारा पंजा साहिब-हसन अब्दाल में दर्शन दे रहा है| हजारों संगते श्रदा के साथ इसके दर्शन करके गुरु जी (श्री गुरु नानक देव जी) की महिमा गाते हुए सुनी व देखी गयी हैं|


पंजा साहिब की यह घटना 3 वैसाख संवत १५७९ में लिखी हुई हैं|

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बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.