शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Saturday, 30 August 2014

श्री साईं लीलाएं - अम्मीर शक्कर की प्राण रक्षा

ॐ सांई राम



कल हमने पढ़ा था.. बापू साहब बूटी को अभय दान     

श्री साईं लीलाएं


अम्मीर शक्कर की प्राण रक्षा

बांद्रा में रहनेवाला अम्मीर शक्कर साईं बाबा का भक्त था| वह वहां पर दलाली किया करता था| एक बार उसे गठिया रोग हो गया| रोग के कारण उसे असहनीय कष्ट का सामना करना पड़ रहा था| आखिर में बीमारी से परेशान होकर अपना काम-धंधा छोड़कर शिरडी आ गया और साईं बाबा से अपनी बीमारी के बारे में बताकर, उनसे मुक्ति दिलाने के लिए प्रार्थना करने लगा| उसकी प्रार्थना सुनकर बाबा ने उसे चावड़ी में रहने के लिए कहा|

उस समय चावड़ी ऐसे रोगियों के रहने के लिए किसी भी तरह अनुकूल स्थान नहीं था, क्योंकि वह बहुत टूटी-फूटी और सीलनभरी थी| बरसात के मौसम में उसकी छत भी टपका करती थी, परन्तु बाबा की आज्ञा को कैसे टाला जा सकता था| अत: अम्मीर शक्कर वहां मन मारकर रहने लगा|

इतना ही नहीं, बाबा ने उसे मस्जिद में आने को मना कर रखा था, लेकिन बाबा का यह नियम था कि वह सुबह-शाम चावडी से होकर ही निकला करते थे| बाबा एक दिन के अंतराल पर जुलूस के साथ वहां पर आते और विश्राम भी करते थे| वहीं पर भक्त बाबा का पूजन, आरती करते| अम्मीर शक्कर को वहां बैठे-बैठे ही बाबा का दर्शन लाभ होता था| उसे वहां रहते हुए नौ महीने बीत गये|

अम्मीर शक्कर का वहां रहते हुए मन ऊब गया| उसे चावड़ी बंदीखाना लगने लगी| वैसे उसका गांव वहां से ज्यादा दूर नहीं था और वह वहां पर आराम से रह भी सकता था, लेकिन बाबा से अनुमति मांगी जाये तो शायद वे अनुमति न देंगे| इसलिए एक रात को वे चोरी-छिपे वहां से निकलकर कोपर गांव से जाकर एक धर्मशाला में ठहर गया| वहां पर उसने एक फकीर को देखा जो पानी के अभाव में तड़फ रहा था| उसने अम्मीर शक्कर से पानी मांगा| अम्मीर शक्कर ने उसे पानी लाकर दिया| पानी पीते ही फकीर ने दम तोड़ दिया| यह देखकर अम्मीर के होश उड़ गये| वह क्या करे और क्या न करे? उसने सोचा कि यदि इसके मरने की सूचना पुलिस को देता हूं तो पुलिस मुझे ही पकड़ेगी| फिर न जाने कौन-कौन-सी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा और पूरी छानबीन होने तक, उसे बेगुनाह होने तक पुलिस उसका पीछा नहीं छोड़ेगी| ऐसा सोचकर वह वहां से भाग निकला और सवेरा होने से पहले वे शिरडी जा पहुंचा| उस समय उसे बाबा की अनुमति के बिना शिरडी छोड़ने का अत्यन्त पछतावा हो रहा था| वह मन-ही-मन बाबा से प्रार्थना करने लगा और बाबा से माफी मांगते हुए चावड़ी लौटा, तो उसकी जान में जान आयी| इसके बाद वो चावड़ी में तब तक रहा, जब तक बाबा ने उसे वहां से जाने की अनुमति नहीं दी - और बाबा के आशीर्वाद से वह बीमारी से मुक्त हो गया|

अम्मीर शक्कर जिस चावड़ी में रहता था, साईं बाबा भी एक दिन छोड़कर रात में वहां सोते थे| चावड़ी में बाबा के साथ अम्मीर शक्कर भी सोता था| एक बार की बात है कि आधी रात के बाद बाबा ने जोर-जोर से अब्दुल को पुकार कर कहा - "अब्दुल ! जरा देख तो सही कोई दुष्ट मेरे बिस्तर पर चढ़ा आ रहा है|"

अब्दुल दौड़कर लालटेन ले आया और उसने बाबा का बिस्तर बहुत ध्यान से देखा, लेकिन उसे कुछ भी दिखाई न दिया| तब बाबा ने अब्दुल से जरा ध्यान से देखने को कहा और जमीन पर अपना सटका जोर-जोर से पटकने लगे|

इस हड़बड़ी से अम्मीर शक्कर की नींद टूट गयी| उसे यहां रहते हुए बहुत दिन हो चुके थे| उसे बाबा की बातों का कुछ-कुछ अंदाजा हो चुका था| भक्तों के संकटों को बाबा स्वयं का संकट कहते थे| फिर जब उसकी नजर अपने बिस्तर के पास में पड़ी तो देखा कि वहां पर कुछ हलचल हो रही है - और अब्दुल को लालटेन लाने को कहा, तो वहां पर सांप कुड़ली फैलाये बैठा, फन हिला रहा था, सबने देखा| फिर सबने मिलकर उस सांप को मार डाला| इस तरह बाबा ने समय से पहले ही सूचित करके अम्मीर शक्कर के प्राणों की रक्षा की|


कल चर्चा करेंगे..सबका रखवाला साईं       

ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।

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बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.