शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Wednesday, 25 June 2014

श्री साईं लीलाएं - साईं बाबा का आशीर्वाद

ॐ सांई राम




कल हमने पढ़ा था.. राघवदास की इच्छा

श्री साईं लीलाएं

साईं बाबा का आशीर्वाद

सुबह-सुबह इंस्पेक्टर गोपालराव अपने दरवाजे पर खड़े थे कि गांव का एक मेहतर अपनी पत्नी के साथ उनके घर के आगे से निकला| जैसे ही उन दोनों की दृष्टि उन पर पड़ी, मेहतरानी अपने पति से बोली - "घर से निकलते ही किस निपूते का मुंह देखा है| पता नहीं हम सही से पहुंच भी पायेंगे या नहीं ? आज रहने दो, कल चलेंगे| मुंह अंधेरे ही निकलेंगे जिससे निपूते का मुंह न देखना पड़े|"

इंस्पेक्टर गोपालराव के दिल को मेहतरानी के ये शब्द तीर की भांति अंदर तक चीरते चले गये| उन्होंने संतान की इच्छा से चार विवाह किए थे| लेकिन एक भी संतान नहीं हुई थी| उन्होंने सोचा था कि शायद कोई कमी है| उन्होंने डॉक्टरों, वैद्यों, हकीमों आदि से इलाज आदि कराया| सब कुछ ठीक था, पर संतान नहीं हो रही थी|

इस घटना ने इंस्पेक्टर गोपालराव को बुरी तरह से झिंझोड़ कर रख दिया था| क्या नहीं था उनके पास-प्रतिष्ठा, जमीन-जायदाद, सरकारी पद, धन सभी कुछ तो था| नौकरी के सिलसिले में जहां भी गए थे, पर्याप्त मान-सम्मान और यश प्राप्त हुआ|

इसके बाद भी संतान न होना बड़े ही दुःख की बात थी|

संतान-प्राप्ति के लिये क्या-क्या नहीं किया-डॉक्टरों की दवाइयां, पंडितों के अनुष्ठान और ओझा, गुनियों के गंडे-ताबीज सभी कुछ बेकार सिद्ध हुए थे|

मेहतरानी की बातें सुनकर उन्हें लगा कि नि:संतान व्यक्ति का जीवन ही बेकार होता है| लोग सुबह उठकर उसका मुंह देखना अशुभ और अपशकुन समझते हैं| जब उन्होंने निश्चय कर लिया कि नौकरी छोड़ देंगे| सारी धन-सम्पत्ति चारों पत्नियों के नाम कर संन्यास लेंगे| यह निश्चय करने के बाद उन्होंने त्याग-पत्र लिखा और गहरे सोच-विचार में डूब गए|

अभी कुछ ही समय बीता था कि दरवाजे पर बाहर गाड़ी रुकने की आवाज सुनाई पड़ी| गोपालराव ने चौंककर दरवाजे की ओर देखा|

"गोपाल, गोपाल !" दरवाजे पर आवाज आयी और दूसरे ही पल उनका मित्र कमरे में आ गया|

"हैलो रामू !" गोपालराव उठकर खड़े हो गए|

"तुम इतनी सुबह-सुबह कैसे ?" गोपालराव ने अपने मित्र का स्वागत करते हुए कहा|

"ट्रेन से अहमदाबाद जा रहा था, लेकिन जैसे ही ट्रेन यहां स्टेशन पर पहुंची, तभी किसी ने मेरे कान में कहा - "रामू, यहीं उतर जा| गोपालराव तुम्हें याद कर रहा है| मैं बिना सोचे-समझ उतर गया| स्टेशन के बाहर आया तो मुझे घोड़ा-गाड़ी भी मिल गई और सीधा तुम्हारे घर चला आया|"

गोपाल अपने मित्र रामू की ओर देखने लगा| उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था, यह सब क्या है ?

इस प्रकार एकाएक दोस्त का आ जाना गोपालराव के लिये बहुत आश्चर्य का विषय था|

गोपालराव ने रामू का स्वागत किया| फिर पूछा - "यह बताओ, घर में सब कैसे हैं ?"

"हां, सब कुशल हैं| एकाएक तुम्हारे पास आने का मन हो गया था|"

"ठीक किया, यदि आज न आते तो शायद फिर कभी न मिलना होता|" गोपालराव ने निराशाभरे स्वर में कहा|

"क्यों ?" रामू ने आश्चर्य से पूछा|

"क्या बताऊं !" गोपाल ने भर्राये हुए स्वर में कहा और फिर सुबह की घटना सुना दी|

"मेरी समझ में सब कुछ आ गया| अब जल्दी से तैयार हो जाओ| हम दोनों शिरडी चलेंगे|"

"दो-चार दिन यहीं रुको, फिर शिरडी चलेंगे|" गोपाल ने कहा|

"नहीं| आज ही शिरडी चलेंगे|" रामू ने जोर देते हुए कहा|

रामू के बार-बार जोर देने पर गोपालराव चुप रह गया|

उसने कहा - "तब ठीक है| मैं अभी तैयार हो जाता हूं|"

फिर वह दोनों शिरडी के लिए रवाना हो गये|

इंस्पेक्टर गोपाल और रामू जब शिरडी पहुंचे तो दिन छिप रहा था| द्वारिकामाई मस्जिद में रोशनी की तैयारियां हो रही थीं| साईं बाबा मस्जिद में चबूतरे पर बैठे थे| अनेक शिष्य उनके पास बैठे थे|

तभी गोपाल और रामू ने एक साथ मस्जिद में कदम रखा|

"आओ गोपाल, आओ रामू ! बहुत देर कर दी तुम लोगों ने| तुम तो सुबह दस बज चले थे शायद|" साईं बाबा ने मुस्कराहट के साथ दोनों का स्वागत किया|

गोपाल और रामू ने ठिठक कर एक-दूसरे की ओर देखा| फिर उन्होंने आगे बढ़कर साईं बाबा के चरणों पर अपना सिर रख दिया|

"आज तुम दोनों ने एक साथ पांव छुए हैं| मस्जिद में भी एक साथ कदम रखा| मैं चाहता हूं तुम दोनों की मन की मुरादें भी एक साथ ही पूरी हों|" साईं बाबा ने दोनों को अपने पैरों पर से उठाते हुए कहा|

फिर बाबा ने पास खड़े हाजी सिद्दीकी से कहा - "सिद्दीकी आप तो हज कर आए हैं| बुजुर्ग व्यक्ति हैं और तजुर्बेकार भी| अब तक लाखों व्यक्ति आपकी नजरों के सामने से गुजरे होंगे, इंसान की आपको जबर्दस्त पहचान है| क्या आप यह बता सकते हैं कि इन दोनों में कौन हिन्दू है| और कौन मुसलमान ?"

हाजी सिद्दीकी गोपालराव और रामू के चेहरों को बड़े ध्यान से देखने लगे और कुछ देर बाद बोले - "साईं बाबा, आज तो मेरी बूढ़ी और तजुर्बेकार आँखें भी मुझे धोखा दे रही हैं| मैं नहीं बता सकता हूं कि इन दोनों में से कौन हिन्दू है और कौन मुसलमान ? मुझे दोनों ही हिन्दू भी दिखाई दे रहे हैं और मुसलमान भी|"

"तुम ठीक कहते हो हाजी ! ये दोनों हिन्दू भी हैं और मुसलमान भी| मैं भी यही चाहता हूं कि इनका रूप ऐसे ही बना रहे| ये दोनों हिन्दू भी रहें और मुसलमान भी|" साईं बाबा ने हँसते हुए कहा|

"साईं बाबा ! जिस दिन हम दोनों के मन की मुरादें पूरी हो जायेंगी, उस दिन हम ऐसा काम करेंगे, जो समाज के लिए एक मिशाल बनेगी|" रामू ने साईं बाबा के पैर छूकर कहा|

"हां, बाबा ! हम दोनों मित्र मिलकर जिस तरह से एक बन गए हैं, और उसी तरह हिन्दू और मुसलमान भी धर्म के भेद मिटा दें|" गोपाल ने कहा|

रामू का वास्तविक नाम अहमद अली था, पर उसने जानबूझकर अपने को रामू कहना, कहलाना शुरू कर दिया था| उसकी वेषभूषा देखने में सदा मुसलमान के समान रहती थी, पूछने पर वह अपना नाम रामू ही बतलाता था|

"मेरी शुभकामनाएं और आशीर्वाद तुम दोनों के साथ हैं|"

साईं बाबा ने उन दोनों को आशीर्वाद देते हुए कहा - "तुम्हारी मनोकामना शीघ्र ही पूरी होगी|" साईं बाबा ने उन दोनों को मन से आशीर्वाद दिया|

ठीक नौ महीने बाद एक दिन गोपाल और रामू के घरों पर एक साथ शहनाइयां बज उठीं|

साईं बाबा के आशीर्वाद से दोनों की मनोकामना पूरी हो गई थी|

दोनों के घर एक ही दिन, एक ही समय बच्चे पैदा हुए थे और दोनों ही लड़के थे| यह भी संयोग ही था कि जिस समय गोपाल ने मस्जिद की सीढ़ियों पर कदम रखा, ठीक उसी समय रामू भी मस्जिद की सीढ़ियों पर सामने से आ रहा था|

"ठहरो गोपाल !" रामू ने आवाज दी|

गोपाल रुक गया| दौड़कर रामू के गले लिपट गया - "रामू, आज मैं बहुत खुश हूं| साईं बाबा की कृपा से आज मेरे माथे का कलंक मिट गया| आज तक लोग मेरा मुंह देखना अशुभ समझते थे|"

"और गोपाल, आज सवेरे तुम्हारा एक छोटा-सा भतीजा आ गया|" रामू ने गोपाल को अपनी बांहों में कसकर कहा|

ऐसा लग रहा था, मानो उनको दुनिया की सारी खुशी मिल गयी हो|

दोनों साईं बाबा के आशीर्वाद से पिता बन गये थे|

साईं बाबा ने हम दोनों की मुरादें एक साथ पूरी कर दीं| गोपाल ने हँसते हुए कहा - "अब हम दोनों एक साथ चलकर बाबा को यह खुशखबरी सुनायेंगे|"

दोनों मित्रों ने जैसे ही अगला कदम रखा, मस्जिद की सीढ़ी पर उनके मुंह से एक साथ निकला - "साईं बाबा ! और फिर दोनों ने साईं बाबा के चरण स्पर्श किए|"

साईं बाबा ने दोनों को आशीर्वाद दिया| फिर उनका हाथ पकड़कर अपनी धूनी के पास ले गये|

गोपाल बोला - "साईं बाबा, हम दोनों यह चाहते हैं कि आज से शिरडी में हिन्दू और मुस्लमानों के जितने भी त्यौहार होते हैं, दोनों धर्मों के लोग एक साथ मिलकर उन त्यौहारों को मनाया करें और इसकी शुरूआत इसी राम-नवमी से करना चाहते हैं, क्योंकि इस दिन हिन्दुओं के भगवान राम का जन्मदिन है और मुसलमानों के पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब का भी जन्मदिन है| हिन्दू-मुस्लिम एकता को बढ़ाने के लिए इस परम्परा के लिए इससे शुभ दिन और कोई नहीं हो सकता|"

"गोपाल की बात का मैं भी समर्थन करता हूं|" नई मस्जिद के इमाम साहब जल्दी से बोले - "मैं शिरडी के मुसलमानों की ओर से आप सबसे वायदा करता हूं कि हिन्दुओं के जितने भी त्यौहार हैं हम लोग भी उन त्यौहारों का भी मनाया करेंगे|"

"ठीक है|" साईं बाबा मुस्कराये और बोले - "मेरे लिये यह सबसे बड़ी खुशी की बात है| दोनों धर्म वालों के बीच भाईचारा स्थापित करना ही मेरा उद्देश्य है, तुम लोग तैयारी करो| कल भगवान राम और हजरत साहब का जन्मदिन एक साथ मनाया जायेगा|"

यह सुनकर मस्जिद में उपस्थित सभी लोग खुशी से फूले न समाए| सबके लिए यह प्रसन्नता के साथ-साथ एकता बढ़ाने की भी महत्वपूर्ण बात थी|
कल चर्चा करेंगे..पानी से दीप जले




ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===

बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।

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बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.