ॐ सांई राम
कल हमने पढ़ा था.. श्री साईं परिचय व जीवन गाथा
श्री साईं लीलाएं
और विष उतर गया
"क्या हुआ?" साईं बाबा एकदम से चौंककर खड़े हो गए और शोर मचाने वाले से पूछा|
"दामोदर को नाग ने काट लिया साईं बाबा!" एक व्यक्ति ने सहारा देकर दामोदर को उठाते हुए कहा| दामोदर की हालत एकदम से खराब होती जा रही थी| उसका सारा शरीर नीला पड़ता जा रहा था, मुंह से झाग आने लगी थी|
"मत चढ़...मत चढ़...!" साईं बाबा बोले|
"कहां गया नाग?"
"इस बिल में घुस गया है|" एक व्यक्ति ने मस्जिद के एक कोने में एक बिल की ओर हाथ से इशारा करते हुए कहा| उस बिल को देखकर साईं बाबा बड़े जोर से हँसकर बोले - "वाह रे लीलाधर! बड़ी विचित्र है तेरी लीला| यह तो नेवले का बिल है| नेवला अभी इस नाग के टुकड़े-टुकड़े करके रख देगा|" सभी व्यक्ति साईं बाबा की ओर हैरानी से देखने लगे|फिर साईं बाबा दामोदर के पास आये और उसके पास बैठकर, उसके पैर पर ऊपर से नीचे की ओर हाथ फेरते हुए कहने लगे - "उतर जा... उतर जा...|"बाबा के ऐसा कहते ही दामोदर के अंगूठे से नीले-नीले रंग की बूंदें तेजी से गिरने लगीं| वहां उपस्थित लोगों को यह समझते देर न लगी कि यह बूंदें उसी नाग के जहर की हैं|यह देखकर सबको बहुत आश्चर्य हो रहा था कि नाग का जहर तो तेजी से ऊपर की ओर चढ़ता जाता है|उन्होंने सांप काटने की अनेक घटनाएं देखी थीं| पर, ऐसा पहली बार देखा था कि जहर शरीर में फैलने की बजाय बूंद-बूंद का जख्म से ही टपकने लगा हो|बाबा दामोदर के डंसे हुए पैर पर हाथ फेरते रहे और जहर बूंद-बूंद करके नीचे की ओर टपकता गया| थोड़ी देर बाद बूंदों का नीला रंग धीरे-धीरे लाली में बदल गया|कुछ देर बाद बाबा ने कहा - "दामोदर के शरीर से अब सारा जहर निकल गया है| अब चिन्ता करने की कोई बात नहीं है| यह अब ठीक है|"फिर उन्होंने दामोदर से पूछा - "अब कैसा लग रहा है, दामोदर?"
"अब मेरी तबीयत ठीक है बाबा|" दामोदर ने कहा और साईं बाबा के पैरों से लिपटकर फूट-फूटकर रोने लगा| बोला -"आपने मुझे बचा लिया साईं बाबा! आपकी कृपा से ही आज मेरी जान बच पायी है|"यह घटना सबके लिए महान् आश्चर्य का विषय थी| सभी ने यह चमत्कार अपनी आँखों के सामने होते देखा था|साईं बाबा के होठों पर मुस्कराहट थिरक रही थी|उनके इस चमत्कार की चर्चा सारे गांव में हो रही थी|अब लोगों को विश्वास होने लगा कि साईं बाबा वास्तव में ही कोई अवतारी पुरुष हैं|सभी धर्मों के लोग दूर-दूर से उनके पास आने लगे|
बाबा को द्वारिकामाई मस्जिद में आए अभी दूसरा ही दिन था कि अचानक मस्जिद के दूसरे छोर पर शोर मच गया - "काट लिया! काट लिया! काले नाग ने काट लिया|"
"क्या हुआ?" साईं बाबा एकदम से चौंककर खड़े हो गए और शोर मचाने वाले से पूछा|
"दामोदर को नाग ने काट लिया साईं बाबा!" एक व्यक्ति ने सहारा देकर दामोदर को उठाते हुए कहा| दामोदर की हालत एकदम से खराब होती जा रही थी| उसका सारा शरीर नीला पड़ता जा रहा था, मुंह से झाग आने लगी थी|
"मत चढ़...मत चढ़...!" साईं बाबा बोले|
"कहां गया नाग?"
"इस बिल में घुस गया है|" एक व्यक्ति ने मस्जिद के एक कोने में एक बिल की ओर हाथ से इशारा करते हुए कहा| उस बिल को देखकर साईं बाबा बड़े जोर से हँसकर बोले - "वाह रे लीलाधर! बड़ी विचित्र है तेरी लीला| यह तो नेवले का बिल है| नेवला अभी इस नाग के टुकड़े-टुकड़े करके रख देगा|" सभी व्यक्ति साईं बाबा की ओर हैरानी से देखने लगे|फिर साईं बाबा दामोदर के पास आये और उसके पास बैठकर, उसके पैर पर ऊपर से नीचे की ओर हाथ फेरते हुए कहने लगे - "उतर जा... उतर जा...|"बाबा के ऐसा कहते ही दामोदर के अंगूठे से नीले-नीले रंग की बूंदें तेजी से गिरने लगीं| वहां उपस्थित लोगों को यह समझते देर न लगी कि यह बूंदें उसी नाग के जहर की हैं|यह देखकर सबको बहुत आश्चर्य हो रहा था कि नाग का जहर तो तेजी से ऊपर की ओर चढ़ता जाता है|उन्होंने सांप काटने की अनेक घटनाएं देखी थीं| पर, ऐसा पहली बार देखा था कि जहर शरीर में फैलने की बजाय बूंद-बूंद का जख्म से ही टपकने लगा हो|बाबा दामोदर के डंसे हुए पैर पर हाथ फेरते रहे और जहर बूंद-बूंद करके नीचे की ओर टपकता गया| थोड़ी देर बाद बूंदों का नीला रंग धीरे-धीरे लाली में बदल गया|कुछ देर बाद बाबा ने कहा - "दामोदर के शरीर से अब सारा जहर निकल गया है| अब चिन्ता करने की कोई बात नहीं है| यह अब ठीक है|"फिर उन्होंने दामोदर से पूछा - "अब कैसा लग रहा है, दामोदर?"
"अब मेरी तबीयत ठीक है बाबा|" दामोदर ने कहा और साईं बाबा के पैरों से लिपटकर फूट-फूटकर रोने लगा| बोला -"आपने मुझे बचा लिया साईं बाबा! आपकी कृपा से ही आज मेरी जान बच पायी है|"यह घटना सबके लिए महान् आश्चर्य का विषय थी| सभी ने यह चमत्कार अपनी आँखों के सामने होते देखा था|साईं बाबा के होठों पर मुस्कराहट थिरक रही थी|उनके इस चमत्कार की चर्चा सारे गांव में हो रही थी|अब लोगों को विश्वास होने लगा कि साईं बाबा वास्तव में ही कोई अवतारी पुरुष हैं|सभी धर्मों के लोग दूर-दूर से उनके पास आने लगे|
शुक्रवार को हम चर्चा करेंगे... साईं बाबा की जय-जयकार
ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।
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