शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Tuesday, 20 May 2014

रामायण के प्रमुख पात्र - भगवान श्रीराम

ॐ श्री साँई राम जी


भगवान श्रीराम

असंख्य सद्गुण रूपी रत्नों के महान निधि भगवान् श्रीराम धर्म परायण भारतीयों के परमाराध्य हैं| श्रीराम ही धर्म के रक्षक, चराचर विश्व की सृष्टि करने वाले, पालन करने वाले तथा संहार करने वाले परब्रह्म के पूर्णावतार हैं| रामायण में यथार्थ ही कहा गया है - 'रक्षिता जीवलोकस्य धर्मस्य परिरक्षिता|' भगवान् श्रीराम धर्म के क्षीण हो जाने पर साधुओं की रक्षा, दुष्टों का विनाश और भूतल पर शान्ति एवं धर्म की स्थापना करने के लिये अवतार लेते हैं| उन्होंने त्रेतायुग में देवताओं की प्रार्थना सुन कर पृथ्वी का भार हरण करने के लिये अयोध्याधिपति महाराज दशरथ के यहाँ चैत्र शुक्ल नवमी के दिन अवतार लिया और राक्षसों का संहार करके त्रिलोक में अपनी अविचल कीर्ति स्थापित की| पृथ्वी का धारण-पोषण, समाज का संरक्षण और साधुओं का परित्राण करने के कारण भगवान् श्रीराम मूर्तिमान् धर्म ही हैं|

भगवान् श्रीराम जीवमात्र के कल्याण के लिये अवतरित हुए थे| विविध रामायणों, अठराह महापुराणों, रघुवंशादि महाकाव्यों, हनुमदादि नाटकों, अनेक चप्पू-काव्यों तथा महाभारतादि में इनके विस्तृत चरित्र का ललित वर्णन मिलता है| श्रीराम के विषय में जितने ग्रन्थ लिखे गये, उतने किसी अन्य अवतार के चरित्र पर नहीं लिखे गये| गुरुगृह से अल्पकाल में शिक्षा प्राप्त करके लौटने के बाद इनका चरित्र विश्वामित्र की यज्ञरक्षा, जनकपुर में शिव-धनुष-भंग, सीता-विवाह, परशुराम का गर्वभंग आदि के रूप में विख्यात है| यज्ञरक्षा के लिये जाते समय इन्होंने ताड़का-वध, महर्षि विश्वामित्र के आश्रम पर सुबाहु आदि दैत्यों का संहार तथा गौतम की पत्नी अहल्या का उद्धार किया| कैकेयी के वरदान स्वरूप पिता की आज्ञा का पालन करने के लिये ये चौदह वर्षों के लिये वन में गये| चित्रकूटादि अनेक स्थानों में रह कर इन्होंने ऋषियों को कृतार्थ किया| पञ्चवटी में शूर्पणखा की नाक काटकर और खर-दूषण, त्रिशिरा आदि का वध कर इन्होंने रावण को युध्द के लिये चुनौती दी| रावण ने मारीच की सहायता से सीता का अपहरण किया| सीता की खोज करते हुए इन्होंने सुतीक्ष्ण, शरभंग, जटायु, शबरी आदि को सद्गति प्रदान की तथा ऋष्यमूक पर्वतपर पहुँच कर सुग्रीव से मैत्री की और वाली का वध किया| फिर श्री हनुमान् जी के द्वारा सीता का पता लगवा कर इन्होंने समुद्र पर सेतु बँधवाया और वानरी-सेना की सहायता से रावण-कुम्भकर्णादिका वध किया तथा विभीषण को राज्य देकर सीता जी का उद्धार किया| भगवान् श्रीराम ने लगभग ग्यारह हजार वर्षों तक राज्य कर के त्रेता में सत्ययुग की स्थापना की| अपने राज्यकाल में राम राज्य को चिरस्मरणीय बना कर पुराण पुरुष श्री राम सपरिकर अपने दिव्यधाम साकेत पधारे|

कर्तव्य ज्ञान की शिक्षा देना रामावतार की विशेषता है| इसका दुष्टान्त भगवान् श्रीराम ने स्वयं अपने आचरणों के द्वारा कर्म करके दिखाया| वे एक आदर्श पुत्र, आदर्श भ्राता, आदर्श पति, आदर्श मित्र, आदर्श स्वामी, आदर्श वीर, आदर्श देश सेवक और सर्वश्रेष्ठ महा मानव होने के साथ साक्षात् परमात्मा थे| भगवान् श्रीराम का चरित्र अनन्त है, उनकी कथा अनन्त है| उसका वर्णन करने की सामर्थ्य किसी में नहीं है| भक्तगण अपनी भावना के अनुसार उनका गुणगान करते हैं|

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बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.