शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Sunday 18 August 2013

श्री गुरु हरिराय जी – साखियाँ - शाहजहाँ के बेटे (दारा शिकोह) को स्वस्थ करना

श्री गुरु हरिराय जी – साखियाँ





शाहजहाँ के बेटे (दारा शिकोह) को स्वस्थ करना

शाहजहाँ के बेटे का नाम दारा शिकोह था| शाहजहाँ अपने बड़े पुत्र को ताज़ देना चाहता था| परन्तु इसका तीसरा लड़का औरंगजेब अपने भाई से इर्ष्या करता था जिसके कारण औरंगजेब ने रसोइए की ओर से शेर की मूंछ का बल अथवा कोई जहरीली चीज़ खिला दी जिससे दारा शिकोह बीमार हो गया| बादशाह ने उसका बहुत इलाज़ करवाया परन्तु दारा शिकोह ठीक ना हुआ|

शाहजहाँ ने देश के सभी हकीमो को बुलाकर पूछा तब उन्होंने उसकी बीमारी को देखकर बताया कि एक लौंग जिसका वजन एक माशा हो ओर एक हरढ़ जुसका वज़न १४ सिरसाही हो रगड़कर कर शाहिजादे को दिए जाए तब शेर का बल अथवा कोई ऐसी जहरीली चीज़ बाहर निकाल आएगी और शाहिजादा स्वस्थ हो जाएगा| राजे ने वैसा ही किया जैसे हकीमो ने बोला था| बादशाह ने सारे देश में अपने आदमी भेजे परन्तु यह चीजे कहीं ना मिली| बादशाह चिंता में पड़ गए| तब वजीर खाँ ने बताया बादशाह! मुझे किसी सिख से पता चला है यह दोनों चीजे इस मात्र की गुरु नानक जी की गद्दी पर विराजमान गुरु हरि राय जी के पास हैं अगर आप चाहे तो उनसे मंगवा को|

बादशाह ने अपने दो अहिलकर गुरु जी के पास चिट्ठी देकर भेजे और प्रार्थना की कि यह दोनों चीजे दे दो आपकी बड़ी कृपा होगी| यह चिट्ठी पढ़कर गुरु जी ने अपने तोशेखाने में से हरढ़ और लौंग मँगवाकर उन्हें दे दी| जब यह दोनों चीजे रगड़कर हकीमो ने दारा शिकोह को दी तो वह थोड़े दिनों में ही स्वस्थ हो गया| बादशाह और उसके दरबारियों ने गुरु घर की बहुत महिमा की और उनकी प्रसन्नता का ठिकाना ना रहा|

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बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.