शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Monday 17 June 2013

श्री गुरु अंगद देव जी -साखियाँ - एक तपस्वी योगी की ईर्ष्या

श्री गुरु अंगद देव जी -साखियाँ - एक तपस्वी योगी की ईर्ष्या







एक तपस्वी जो कि खडूर साहिब में रहता था जो कि खैहरे जाटो का गुरु कहलाता था| गुरु जी के बढ़ते यश को देखकर आपसे जलन करने लगा और निन्दा भी करता था| संवत १६०१ में भयंकर सूखा पड़ा| लोग दुखी होकर वर्षा कराने के उदेश्य से तपस्वी के पास आए| पर उसने कहना शुरू किया कि यहाँ तो उलटी गंगा बह रही है| श्री अंगद देव जी गृहस्थी होकर अपने को गुरु कहलाता है और अपनी पूजा कराता है| जब तक आप इन्हें बाहर नहीं निकालोगे तब तक वर्षा नहीं होगी| मैं आठ पहर में वर्षा करा दूँगा अगर इन्हें गाँव से बाहर निकाल दोगे| ऐसी बात सुनकर गाँव के पंच आदि मिलकर गुरु जी के पास आए और कहने लगे कि गुरु जी आप या तो वर्षा कराये नहीं तो हमारे गाँव से चले जाओ| गुरु जी कहने लगे भाई! हम परमात्मा के विरुद्ध नहीं हैं, यदि हमारे यहाँ से चले जाने से वर्षा हो जाती है तो हम यहाँ से चले जाते हैं| गाँव खान रजादे की संगत पूरी बात पता लगने पर उन्हें अपने साथ ले गई| 

तपस्वी लोगो को दिलासा देता रहा पर जब आठ दिन तक वर्षा नहीं हुई तो लोग बहुत हताश हो गये| एक दिन अचानक ही श्री अमरदास जी गुरु जी को मिलने खडूर साहिब आए| असलियत का पता लगते ही बहुत दुखी हुए और संगतो को समझाने लगे अगर आप योगी तपस्वी को गाँव में से निकाल दोगे और गुरु जी से क्षमा माँग लोगे तो बहुत जल्दी वर्षा होगी|आप जी गुरु नानक देव जी की गद्दी पर सुशोभित है, जो की बहुत शक्तिशाली है| उनको प्रसन्न करके हो वर्षा होने की आशा है| गुरु घर का आदर न करने से वर्षा नहीं होगी|

भाई अमरदास जी के ऐसे वचन सुनकर ज़मींदारो ने तपस्वी को कहा कि आप आठ दिनों में भी वर्षा नहीं करा सके और गुरु जी को भी गाँव से बाहर निकाल दिया| इसलिए आप गाँव छोडकर चले जाओ| हम अपने आप गुरु जी को सम्मान सहित वापिस लाकर वर्षा करायेंगे| तपस्वी को गाँव छोड़कर जाना पड़ा और सारी संगत गुरु जी से क्षमा मांगकर गुरूजी को वापिस खडूर साहिब ले आई| लोगों की खुशी की सीमा ना रही जब आकाश पर बादल छाये और खूब वर्षा हुई| गुरु जी के ऐसे कौतक को देखकर संगतो का विश्वाश और पक्का हो गया|

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बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.