शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Sunday, 14 April 2013

श्री साईं लीलाएं - जो मस्जिद में आया, सुखी हो गया

ॐ सांई राम


कल हमने पढ़ा था.. डॉक्टर को बाबा में श्री राम के दर्शन


श्री साईं लीलाएं


जो मस्जिद में आया, सुखी हो गया
 
भीमा जी पाटिल पूना जिले के गांव जुन्नर के रहनेवाले थे| वह धनवान होने के साथ उदार और दरियादिल भी थे| सन् 1909 में उन्हें बलगम के साथ क्षयरोग (टी.बी.) की बीमारी हो गयी| जिस कारण उन्हें बिस्तर पर ही रहना पड़ा| घरवालों ने इलाज कराने में किसी तरह की कोई कोर-कसर न छोड़ी| लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ| वह हर ओर से पूरी तरह से निराश हो गये और भगवान् से अपने लिए मौत मांगने लगे|

फिर ऐसे में अचानक पाटिल को नाना सोहब चाँदोरकर की याद आयी| उन्होंने उन्हें लाइलाज बीमारी के बारे में विस्तार से वर्णन करते हुए पत्र लिखा| चूंकि नाना साहब भीमा पाटिल के पुराने मित्र थे, सो पत्र पढ़कर बेचैन हो उठे| जवाब में उन्होंने शिरडी और साईं बाबा का महत्व बताते हुए उनकी शरण लेने को कहा, कि अब इसके अलावा और कोई उपाय नहीं है|

नाना साहब का पत्र पाकर, उनके वचनों पर विश्वास करते हुए उन्हें आशा की किरण दिखाई दी| उन्होंने शिरडी जाने की तैयारी की| साथ में घरवाले भी थे| उन्होंने उन्हें शिरडी में लाकर मस्जिद में बाबा के सामने लिटा दिया| उस समय वहां पर नाना साहब और माधवराव (शामा) तथा अन्य भक्त भी उपस्थित थे|

भीमा की हालत देखकर बाबा बोले - "ये सब तो पूर्वजन्म के दुष्कर्मों का फल है, मैं कोई मुसीबत मोल लेना नहीं चाहता|" साईं बाबा का जवाब सुनकर भीमा ने बाबा के चरण छूकर, गिड़गिड़ाते हुए अपने प्राण बचाने की विनती की, तो बाबा के मन में करुणा पैदा हो गयी| बाबा पाटिल से बोले - "ऐ भीमा ! घबरा मत| जिस समय तू शिरडी में दाखिल हुआ, उसी क्षण तेरा बदनसीब दूर हुआ| मस्जिद का फकीर बड़ा दयालु है| वह रोग भी दूर करता है और प्यार से परवरिश भी करता है| जो भी व्यक्ति श्रद्धा के साथ इस मस्जिद की सीढ़ी पर कदम रखता है, वह सुखी हो जाता है|" यह सुनते ही भीमा बेफिक्र हो गया|

भीमा बाबा के पास लगभग एक घंटा बैठा होगा, पर सबसे आश्चर्यजनक बात यह थी कि भीमा को हर पांच मिनट में खूनी उल्टियां हुआ करती थीं| पर बाबा के सामने रहने पर उसे एक बार भी उल्टी नहीं हुई| रोग तो तभी समाप्त हो गया था जब बाबा ने भीमा को दयालुता-भरे वचन कहे थे| बाद में बाबा ने भीमा जी को भीमाबाई के घर ठहरने के लिए कहा|

बाबा के कहने पर भीमा पाटिल भीमाबाई के घर रुक गया और थोड़े ही दिनों में उसका रोग पूरी तरह से ठीक हो गया| वह बाबा का गुणगान करता हुआ अपने घर लौट गया और बाबा के दर्शन करने के लिए आने लगा| भीमा की साईं बाबा ने निष्ठा बढ़ गई|
कल चर्चा करेंगे..बाबा का विचित्र आदेश    

ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।

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बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.