शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Wednesday, 10 April 2013

श्री साईं लीलाएं - मुले शास्त्री को बाबा में गुरु-दर्शन

ॐ सांई राम


कल हमने पढ़ा था.. भक्तों के मन की बात जानने वाला बाबा


श्री साईं लीलाएं


मुले शास्त्री को बाबा में गुरु-दर्शन
    
नासिक के रहनेवाले मुले शास्त्री विद्वान थे| साथ में ज्योतिष, वेद, आध्यात्म के भी अच्छे जानकर थे| एक बार वे नागपुर के प्रसिद्ध करोड़पति श्री बापू साहब बूटी से मिलने के लिए शिरडी आये| मिलने के बाद जब बूटी मस्जिद की ओर जाने लगे तो सहज भाव से मुले शास्त्री भी उनके साथ चल दिये|

जब वे दोनों मस्जिद पहुंचे तो बाबा भक्तों को आम खिला रहे थे| उसके बाद उन्होंने केलों को खाने के लिए दिन शुरू किया, परन्तु केले बांटने का उनका तरीका एकदम अनोखा था| बाबा केले की गिरी निकालकर भक्तों को देते और छिलके अपने पास रख लेते थे| यह देखकर मुले शास्त्री आश्चर्य में पड़ गये| चूंकि मुले शास्त्री हस्तरेखा के भी ज्ञाता थे, उनकी बाबा के हाथों की लकीरें देखने की इच्छा हुई| आगे बढ़कर इसके लिए उन्होंने बाबा से प्रार्थना की| पर साईं बाबा ने उनकी बातों पर ध्यान न देकर न देकर उन्हें खाने के लिए केले पकड़ा दिए| मुले शास्त्री ने बाबा से दो-तीन बार विनती की, पर बाबा ने उसकी बात न मानी| आखिर हारकर वे अपने ठहरने की जगह पर लौट आये|

बाबा जब दोपहर को लेंडीबाग से मस्जिद लौटे तो भक्त आरती की तैयारी में जुटे हुए थे| बाजों की आवाज सुनकर बापू साहब जाने के लिए उठे और मुले जी से चलने के लिए कहा| लेकिन ब्राह्मण होने के कारण उन्होंने मस्जिद जाना उचित न समझा और टालने हेतु बोले, शाम को चलूंगा| बापू साहब अकेले ही मस्जिद बाबा की आरती में चले गए|

इधर आरती सम्पन्न होने के बाद बाबा बूटी से बोले - "जाओ और उस नए ब्राह्मण से कुछ दक्षिणा लाओ|" बूटी ने आकर मुले जी से दक्षिणा मांगी तो वह हैरान-से रह गये, कि मैं तो अग्निहोत्री ब्राह्मण हूं| क्या मुझे बाबा को दक्षिणा देनी चाहिए ? ऐसा विचार उनके मन में आया| फिर बाबा जैसे पहुंचे हुए संत ने मुझसे दक्षिणी मांगी है और बूटी जैसे करोड़पति दक्षिणा लेने के लिये आये हैं तो कैसे मना किया जा सकता है ? ऐसा विचार करके मस्जिद जाने के लिए चल पड़े| पर मस्जिद पहुंचते ही उनका ब्राह्मण होने का अहंकार फिर जग उठा और वह मस्जिद से कुछ दूर खड़े होकर वहीं से ही बाबा पर पुष्प अर्पण करने लगे|

लेकिन उन्हें यह देखकर घोर आश्चर्य हुआ कि बाबा के आसन पर साईं बाबा नहीं, बल्कि गेरुये वस्त्र पहने उनके गुरु कैलाशवासी घोलप स्वामी विराजमान हैं| उन्हें अपनी आँखों पर शक-सा हो गया| कहीं वह कोई स्वप्न तो नहीं देख रहे हैं, ऐसा सोचकर खुद को चिकोटी काटकर देखा| उनकी समझ में नहीं आया कि उनके गुरु यहां मस्जिद में कैसे आ गया ? फिर वे सब कुछ भूलकर मस्जिद की ओर बढ़े और गुरु के चरणों में शीश झुकाकर हाथ जोड़कर स्तुति करने लगे| अन्य भक्त बाबा की आरती गा रहे थे| लोगों की नजरें तो साईं बाबा को देख रही थीं, पर मुले जो की नजर अपने गुरु घोलपनाथ को देख रही थी| वे जात-पांत का अहंकार त्यागकर गुरु-चरणों में गिर पड़े और आँखें बंद कर लीं| यह सब दृश्य देखकर लोगों को भी बड़ा आश्चर्य हो रहा था कि दूर से फूल फेंकने वाला ब्राह्मण अब बाबा के चरणों पर गिर पड़ा है| लोग बाबा की जय-जयकार कर रहे थे| मुले घोलपनाथ की जय-जय कर रहे थे|

जब उन्होंने आँखें खोलीं तो सामने साईं बाबा खड़े दक्षिणा मांग रहे थे| बाबा का सच्चिदानंद स्वरूप देखकर मुले अपनी सुधबुध खो बैठे, उनकी आँखों से अश्रुधारा बहने लगी| फिर उन्होंने बाबा को नमस्कार करके दक्षिणा भेंट की और बोले, बाबा आज मुझे मेरे गुरु के दर्शन होने से मेरे सारे संशय दूर हो गए - और वे बाबा के परम भक्त बन गए| बाबा की यह विचित्र लीला देखकर सभी भक्त और स्वयं मुले शास्त्री भी दंग रह गये|
कल चर्चा करेंगे..डॉक्टर को बाबा में श्री राम के दर्शन    

ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।

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बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.