मुझे पंढरपुर जा कर रहना है
ॐ सांई राम
कल हमने पढ़ा था.. साईं बाबा की दयालुता
श्री साईं लीलाएं
मुझे पंढरपुर जा कर रहना है
साईं बाबा अंतर्यामी थे और वे अपने भक्तों के मन की बात पहले ही जान जाया करते
थे| साईं बाबा के अनन्य भक्त नाना साहब चाँदोरकर नंदूरवार के मामलातदार थे| उनका तबादला पंढरपुर में तहसीलदार के पद पर हो गया था| पंढरपुर को इस धरती पर स्वर्ग जितना महत्व दिया जाता था| नाना साहब को शीघ्र ही वहां जाकर कार्यभार संभालने का आदेश मिला था| पंढरपुर जाने से पहले उन्होंने अपने पंढरपुर (शिरडी) जाकर
साईं बाबा के दर्शन करने की सोची और वे बिना किसी को सूचना दिये शीघ्र ही
शिरडी के लिए चल दिए|
इधर शिरडी में भी नाना साहब के आने के बारे में भी किसी को कोई जानकारी नहीं थी| लेकिन साईं बाबा तो अंतर्यामी, सर्वव्यापी थे| उनसे कुछ भी छिपा हुआ नहीं था| अभी नाना साहब शिरडी से कुछ पहले नीम गांव के पास पहुंचे ही
थे कि मस्जिद में बैठे साईं बाबा अपने भक्तों के साथ बैठे बातचीत कर रहे थे
कि अचानक बातचीत के बीच में साईं बाबा बोले - "चलो सारे मिलकर भजन गाते हैं|" साईं बाबा भजन गाने लगे और म्हालसापति, अप्पाशिंदे, काशीराम आदि भक्त उनका साथ देने लगे| पहले भजन साईं बाबा गाते, फिर भक्त उसे दोहराते| कुछ देर बाद जब नाना साहब मस्जिद में बाबा के दर्शन करने आये, तब भजन जारी था| भजन सुनकर उन्होंने समझा कि उनका पंढरपुर के तबादले के बारे में बाबा ने जान लिया है| उन्होंने बाबा के चरणों में नमस्कार कर बाबा से पंढरपुर जाने की अनुमति मांगी| तब बाबा ने उन्हें आशीष और ऊदी प्रसाद में दी| फिर नाना साहब सपरिवार पंढरपुर के लिए रवाना हो गये|
कल चर्चा करेंगे... साईं बाबा द्वारा भिक्षा माँगना
ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।
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बाबा के 11 वचन
ॐ साईं राम
1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य
.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥
Word Meaning of the Gayatri Mantra
ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe
these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation
धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"
dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God
भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।
Simply :
तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।
The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.