शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Sunday, 10 March 2013

श्री साईं लीलाएं- विट्ठल का दर्शन देना

ॐ सांई राम

कल हमने पढ़ा था.. गौली बुवा की कथा    


श्री साईं लीलाएं





विट्ठल का दर्शन देना   

साईं बाबा भगवद् भजन व ईश्वर चिंतन में विशेष रूप से रुचि रखते थे| बाबा सदैव अपने आत्मस्वरूप में मग्न रहा करते थे| बाबा के होठों पर 'अल्लाह मालिक' का उच्चारण सदैव रहता था| बाबा द्वारिकामाई मस्जिद में 'कीर्तन सप्ताह' का भी आयोजन किया करते थे| इसी 'कीर्तन सप्ताह' को 'नाम-सप्ताह' भी कहा जाता था|

एक समय की बात है साईं बाबा ने अपने प्रिय भक्त दासगणु को 'कीर्तन सप्ताह' करने के लिए कहा| तब दासगणु ने साईं बाबा से कहा कि - "हे देवा ! आपकी आज्ञा मेरे लिए शिरोधार्य है, परन्तु आप मुझे विश्वास दें कि इस कीर्तन सप्ताह में विठ्ठल अवश्य ही प्रकट होंगे|" दासगणु की बात सुनकर साईं बाबा ने अपने हृदय पर अपना सीधा हाथ रखा| उनका ऐसा करना इस बात का संकेत था कि वह दासगणु को भरोसा दे रहे हों| फिर साईं बाबा बोले कि विठ्ठल अवश्य ही प्रकट होंगे| लेकिन इसके लिए भक्तों में श्रद्धा, विश्वास और तीव्र उत्सुकता का होना भी बहुत जरूरी है| बाबा बोले कि विठ्ठल की पंढरी, रणछोड़ की द्वारका और ठाकुरनाथ की डंकपुरी तो शिरडी ही है| फिर किसी को भी दूर जाने की क्या आवश्यकता है? क्या विठ्ठल कहीं बाहर से आयेंगे ? वे तो शिरडी में ही विराजते हैं| जब भक्तों में भक्ति और प्रेम का प्रवाह सुचारू रूप से होगा तो विठ्ठल स्वयं ही प्रकट होकर उनकी इच्छा अवश्य पूर्ण करेंगे|

फिर ऐसा ही हुआ भी| जब कीर्तन सप्ताह का समापन हुआ तो विठ्ठल स्वयं ही प्रकट हो गए| इस बात के प्रत्यक्ष प्रमाण काका साहब दीक्षित थे, जिन्होंने प्रतिदिन की तरह स्नानादि किया से निवृत्त होने के बाद ध्यान किया तो उन्हें विठ्ठल के साक्षात् दर्शन हुए| फिर जब उस दिन दोपहर को काका साहब साईं बाबा के दर्शन करने के लिए मस्जिद गए तो बाबा ने उनसे पूछा - "क्यों विठ्ठल पाटिल आये थे ? क्या तुमने उसके दर्शन किए? वे बहुत चंचल हैं, उन्हें अच्छी तरह पकड़ लो| जरा-सी भी असावधानी बरतोगे तो वे बेचकर निकल पायेंगे - ऐसा कहकर साईं बाबा मुस्कराने लगे| जैसा कि साईं बाबा का स्वभाव था|

काका साहब दीक्षित को उस दिन सुबह विठ्ठल के दर्शन हुए ही थे| दोपहर में भी उन्हें फिर से एक बार उनके दर्शन हुए| उस दिन एक आश्चर्यजनक घटना यह हुई कि एक चित्र बेचने वाला विठोला (विठ्ठल) के चित्र वहां पर बेचने आया| वे चित्र ठीक वैसे ही थे, जैसे ध्यान करते समय काका साहब को विठ्ठल के दर्शन हुए थे| चित्र को देखकर और बाबा की बात को याद करते ही उन्हें बहुत हैरानी और प्रसन्नता हुई| फिर काका साहब ने चित्र बेचने वाले से खुशी-खुशी एक चित्र खरीद लिया और उसे अपने पूजाघर में स्थापित कर दिया|


कल चर्चा करेंगे..रामनवमी के दिन शिरडी का मेला 



ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।

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बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.