ॐ सांई राम
शिर्डी वाले तू ओ शिर्डी वाले, सिर्फ इतना मुझे दान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे
सच है क्या झूठ क्या है अभी तक, जानता ही नहीं मन ये मेरा
हर तरफ दिल में छाया हुआ है, कब से अज्ञान का ये अँधेरा
मैं चलूँ तो चलूँ किस डगर पर, आज मुझको तू यह ज्ञान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे
हर किसी भीड़ के साथ चल कर, मन का विश्वास खोने लगा है
अजनबी हो गया हूँ मैं खुद से, ऐसा महसूस होने लगा है
अपने भक्तों में कर मुझको शामिल, साईं मुझको ये सामान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे
सिर्फ कागज़ के फूलों से आखिर, कब तलक अपना गुलशन सजाऊँ
दिल की आवाज़ कहती है मुझसे, तेरी छाया में जीवन बिताऊँ
कब से बैठा हूँ मैं दर पे तेरे, मेरी बिनती पे कुछ ध्यान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे
शिर्डी वाले तू ओ शिर्डी वाले, सिर्फ इतना मुझे दान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे
सच है क्या झूठ क्या है अभी तक, जानता ही नहीं मन ये मेरा
हर तरफ दिल में छाया हुआ है, कब से अज्ञान का ये अँधेरा
मैं चलूँ तो चलूँ किस डगर पर, आज मुझको तू यह ज्ञान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे
हर किसी भीड़ के साथ चल कर, मन का विश्वास खोने लगा है
अजनबी हो गया हूँ मैं खुद से, ऐसा महसूस होने लगा है
अपने भक्तों में कर मुझको शामिल, साईं मुझको ये सामान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे
सिर्फ कागज़ के फूलों से आखिर, कब तलक अपना गुलशन सजाऊँ
दिल की आवाज़ कहती है मुझसे, तेरी छाया में जीवन बिताऊँ
कब से बैठा हूँ मैं दर पे तेरे, मेरी बिनती पे कुछ ध्यान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे
शिर्डी वाले तू ओ शिर्डी वाले, सिर्फ इतना मुझे दान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे
सच है क्या झूठ क्या है अभी तक, जानता ही नहीं मन ये मेरा
हर तरफ दिल में छाया हुआ है, कब से अज्ञान का ये अँधेरा
मैं चलूँ तो चलूँ किस डगर पर, आज मुझको तू यह ज्ञान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे
हर किसी भीड़ के साथ चल कर, मन का विश्वास खोने लगा है
अजनबी हो गया हूँ मैं खुद से, ऐसा महसूस होने लगा है
अपने भक्तों में कर मुझको शामिल, साईं मुझको ये सामान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे
सिर्फ कागज़ के फूलों से आखिर, कब तलक अपना गुलशन सजाऊँ
दिल की आवाज़ कहती है मुझसे, तेरी छाया में जीवन बिताऊँ
कब से बैठा हूँ मैं दर पे तेरे, मेरी बिनती पे कुछ ध्यान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे
शिर्डी वाले तू ओ शिर्डी वाले, सिर्फ इतना मुझे दान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे
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हर तरफ दिल में छाया हुआ है, कब से अज्ञान का ये अँधेरा
मैं चलूँ तो चलूँ किस डगर पर, आज मुझको तू यह ज्ञान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे
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अजनबी हो गया हूँ मैं खुद से, ऐसा महसूस होने लगा है
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दिल की आवाज़ कहती है मुझसे, तेरी छाया में जीवन बिताऊँ
कब से बैठा हूँ मैं दर पे तेरे, मेरी बिनती पे कुछ ध्यान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे
शिर्डी वाले तू ओ शिर्डी वाले, सिर्फ इतना मुझे दान दे दे
अपने चरणों में स्थान दे दे
सच है क्या झूठ क्या है अभी तक, जानता ही नहीं मन ये मेरा
हर तरफ दिल में छाया हुआ है, कब से अज्ञान का ये अँधेरा
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