शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Thursday 29 March 2012

पालकी यात्रा का उदेश्य

ॐ सांई राम

पालकी यात्रा शिर्डी की एक परंपरा है इसकी शुरुआत ९ दिसम्बर १९१० में
हुई थी, जब बाबा सगुण (मानव शरीर) रूप से शिर्डी की द्वारकामाई में वास करते (रहते) थे! बाबा एक दिन द्वारकामाई और एक दिन चावडी जाते थे तो उनकी पालकी की एक शोभा यात्रा निकलती थी, जिसमे शिर्डी ही नहीं बल्कि अन्य स्थानों से आए भक्तगण भाग लेते थे और आनंदित होते थे! यदपि द्वारकामाई से चावडी की दूरी बहुत अधिक नहीं थी, फिर भी बाजे - गाजे के साथ भजन - कीर्तन, जय - जयकार करते हुए चावडी पहुचने में काफी समय लग जाता था! नर-नारी, और सभी भक्त एक अनोखे आनंद का अनुभव करते थे, शिर्डी में यह परम्परा आज भी चल रही है!

पालकी यात्रा के उद्देश्य पर यदि गंभीर रूप से विचार किया जाये तो उसके कुछ महत्वपूर्ण कारण मिलते है ! पालकी सद्भावना का प्रसार करती है, उसमे सब मिलकर चलते है, इसके द्वारा जातिगत तथा अन्य सभी प्रकार की विविधता तोड़ने की भावना जागृत होती है! इसके मूल में असली भाव समानता का है इस शोभायात्रा में सब सदभाव और आनंद भाव से जाते है! इसके द्वारा बाबा का नाम स्मरण और बाबा के प्रति प्रेम का अनुभव होता है! गुरु का नाम, कीर्तन और श्रवण करने एवं बाबा का स्वरुप (फोटो) और बाबा की चरणपादुका लेकर चलने में गुरु के संग चलने का आनंद भाव उत्पन्न होता है और इससे अध्यात्मिक प्रगति होती है!



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बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.