शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....

"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम

मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे

कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे

मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे

दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे

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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।

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Tuesday 1 February 2011

सत्संग से प्रभु प्राप्ति सुगम

ॐ सांई राम

सत्संग से प्रभु प्राप्ति सुगम

जिस प्रकार गन्ने को धरती से उगाकर उससे रस निकालकर मीठा तैयार किया जाता है और सूर्य के उदय होने से अंधकार मिट जाता है उसी प्रकार सत्संग में आने से मनुष्य को प्रभु मिलन का रास्ता दिख जाता है और उसके जीवन का अंधकार मिट जाता है। सत्संग में आने से मानव का मन साफ हो जाता है और मानव पुण्य करने को प्रेरित होता है जिससे उसे प्रभु प्राप्ति का मार्ग सुगमता से प्राप्त होता है।

मानव द्वारा किए गए पुण्य कर्म ही उसे जीवन की दुश्वारियों से बचाते हैं और जीवन के ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर चलने में सहायक होते हैं। जीवन में असावधानी की हालत में व विपरीत परिस्थितियों में यही पुण्य कर्म मनुष्य की सहायता करते हैं। अगर मनुष्य का जीवन में कोई सच्चा साथी है तो वह है मनुष्य का अर्जित ज्ञान और उसके द्वारा किए गए पुण्य कर्म। मगर इसके लिए मनुष्य को अपनी बुद्धि व विवेक के द्वारा ही उचित अनुचित का फैसला करना होता है। कोई भी मानव अपनी बुद्धि व विवेक अनुसार ही जीवन में अच्छे-बुरे व सार्थक-निरर्थक कार्यो में अंतर को समझता है। सत्संग वह मार्ग है जिस पर चलकर मानव अपना जीवन सफल बना सकता है। जिस प्रकार का शास्त्रों के श्रवण से ही सुशोभित होता है न कि कानों में कुण्डल पहनने से। इसी प्रकार हाथ की शोभा सत्पात्र को दान देने से होती है न कि हाथों में कंगन पहनने से। करुणा, प्रायण, दयाशील मनुष्यों का शरीर परोपकार से ही सुशोभित होता है न कि चंदन लगाने से।

शरीर का श्रृंगार कुण्डल आदि लगाकर या चंदन आदि के लेप करना ही पर्याप्त नहीं है क्योंकि यह सब तो नष्ट हो सकता है परन्तु मनुष्य का शास्त्र ज्ञान सदा उसके साथ रहता है। मनुष्यों द्वारा किए गए दान व परोपकार उसके सदा काम आते हैं और परमार्थ मार्ग पर चलने वाला मनुष्य ही मानव जाति का सच्चा शुभ चिंतक होता है। प्रेम से सुनना समझना व प्रेम पूर्वक उसका मनन कर उसका अनुसरण करना ही मनुष्य को फल की प्राप्ति कराता है। लेकिन मनुष्य की चित्त वृत्ति सांसारिक पदार्थो में अटकी होने के कारण वह असत्य को ही सत्य मानता है। इसी कारण वह दुखों को भोगता है। शरीर को चलाने वाली शक्ति आत्मा अविनाशी सत्य है और वही कल्याणकारी है। 

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बाबा के 11 वचन

ॐ साईं राम

1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य

.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....

गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥

Word Meaning of the Gayatri Mantra

ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe

these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation

धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"

dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God


भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।


Simply :

तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।


The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.