ॐ सांई राम
माधवराव देशपाँडे जी, शिरडी धाम में रहते थे
बहत्तर जन्मों से साईं सँग थे, ऐसा बाबा कहते थे
बच्चों को शिक्षा देते थे, गुरु धरे साईं राम
सुबह शाम बस साईं जपना, यही प्रिय था काम
बडे प्रेम से बाबा जी ने, उनको श्यामा नाम दिया
भक्ति पथ पर उन्हें बढाने, का बाबा ने काम किया
धर्म ग्रन्थ कभी उनको देकर, बाबा ने कृतार्थ किया
संकट और सुख में भी उनका, साईं नाथ ने साथ दिया
बाबाजी के भक्त प्रिय थे, थोडे से गुस्से वाले
लेकिन सब कर रखा था, साईं नाथ के हवाले
बाबा जी से तनिक भी दूरी, उन्हें नहीं भाती थी
बिछड ना जाँए देव सोच कर, जान चली जाती थी
जैसे शिव मँदिर के बाहर, नन्दी खडे रहते हैं
ऐसे बाबा सँग हैं श्यामा, भक्त यही कहते हैं
दुखियों के कष्टों को श्यामा, बाबा तक पहुँचाते थे
बदले में उन भक्त जनों की, ढेर दुआँऐं पाते थे
श्यामा जी के रोम रोम में, साईं यूँ थे व्याप्
उनकी निद्रा में चलता था, साईं नाम का जाप
धन्य जन्म था श्यामा जी का, बाबा का सँग पाया
गत जन्मों के शुभ कर्मों से, जीव देव सँग आया
युगों युगों तक दिखा ना सुना, था वो बँधन ऐसा
साईं ईश और श्यामा भक्त, के बीच बना था जैसा