शिर्डी के साँई बाबा ग्रुप (रजि.)

Wednesday, 12 October 2022

श्री साईं लीलाएं - रोहिला के प्रति प्रेम

ॐ सांई राम



कल हमने पढ़ा था.. जब बाबा जी जोहर अली के चेले बने 


श्री साईं लीलाएं
रोहिला के प्रति प्रेम  

साईं बाबा का प्रेम सभी लोगों के प्रति एकसमान थाबाबा सभी वर्णों के लोगों से समान रूप से प्रेम करते थेबाबा की दृष्टि में ऊंच-नीचजाति-पातिछोटे-बड़ेअमीर-गरीब का कोई भेदभाव नहीं थकसभी एकसमान थेएक बार रोहिला (मुस्लिम) फकीर शिरडी में आयावहां वह बाबा के साथ द्वारिकामाई मस्जिद में ठहरा थावह सदैव साईं बाबा के साथ रहता थारोहिला लम्बे-चौड़े और गठे हुए शरीर का व्यक्ति थासाईं बाबा के प्रति उसके मन में बहुत श्रद्धा-भाव थावह पवित्र कुरान के कलमें दिन-रात बड़ी ऊंची आवाज में पढ़ता और 'अल्लाहो-अकबरके नारे लगाया करता था|

साईं बाबा का उस फकीर के प्रति प्यार और सहनशीलता ऐसी थी कि उस फकीर का कर्कश आवाज में चिल्लाना शिरडी के लोगों के लिए बहुत ही तकलीफदेह थापरन्तु साईं बाबा न उसे कुछ कहते रोकतेरोहिला की आवाज के कारण दिन भर मेहनत करके थके-हारे शिरडी वालों की नींद में खलल पड़ती थीउनका रात को सोना दूभर हो गया थाकई दिनों तक वे चुपचाप रहकर सब कुछ सहते रहेपर जब स्थिति असहनीय हो गयी तो वे सब लोग इकट्ठा होकर साईं बाबा के रोहिला के चिल्लाने के बारे में शिकायत कर दी|

लेकिन साईं बाबा ने उनकी बात को नजरअंदाज करते हुए आड़े हाथों लियाबाबा बोलेतुम लोग रोहिला पर क्यों ध्यान देते होसिर्फ अपने काम पर ध्यान दोउसे अपना काम करने दो|

फिर बाबा उन्हें समझते हुए कहते हैं कि रोहिला की पत्नी का स्वभाव अच्छा नहीं हैवह बहुत बेशर्म हैवह रोहिला को ही नहीं बल्कि मुझे भी कष्ट देती रहती हैइसलिए वह जोर-जोर से चिल्लाता है तो उसके पास नहीं आतीयदि वह चिल्लाना छोड़ दे तो वह उसे तो सतायेगी हीऔर मुझे भी सतायेगीयह उसका मुझ पर एहसान नहीं हैजब वह थक जायेगातब रुक जायेगातुम उसे कुछ ना कहो|

वास्तव में रोहिला की कोई पत्नी थी ही नहींयहां साईं बाबा का आशय बुरे विचारों के त्याग से थाबाबा का कहने का अर्थ यह था कि नींद ही प्रार्थना-आराधना में बाधा बनती हैजरा-सा बेपरवाह होने पर वह शरीर में प्रवेश कर लेती हैमेरा भक्त जहां पर भी मेरा भजन करता हैमैं सदा वहां पर उपस्थित रहता हूंऐसा भगवान का कहना हैइसलिए रोहिला के चिल्लाने का बुरा मत मानोक्योंकि साईं बाबा भी प्रार्थना-आराधना में बहुत महत्व देते थे|

कल चर्चा करेंगे..बाबा जी का अमृतोपदेश

ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं

बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।