कर्मों का फल
माँ एक शब्द नहीं हैं
माँ एक एहसास है
बहुत खुशनसीब हैं वो
माँ जिनके पास है ।
मैं वो खुशनसीब नहीं हूँ
पर बदनसीब भी नहीं हूँ
मेरे पास जगदंबे माँ जो हैं ।
हमारे कर्मों का फल ही है, जो हमें परेशानियों में धकेलता है, अन्यथा हम सब ईश्वर की संतान हैं और कोई भी माता या पिता अपनी संतान को किसी भी स्थिति में परेशान नहीं देख सकते हैं ।
हम भाग्य को कोसने से बेहतर है कि अपने कर्मों को ही उजला करें, ताकि हमारा भविष्य ठीक उसी प्रकार से हमारा वर्तमान बन कर हमारे समक्ष खड़ा हो जैसा उस परम पिता परमेश्वर ने निर्धारित किया था ।