घृणा, ईर्ष्या, लालच और डींग हांकने जैसे दुष्ट गुणों को ख़त्म किया जाना चाहिए।
घृणा, ईर्ष्या, लालच और डींग हांकने जैसे दुष्ट गुणों को ख़त्म किया जाना चाहिए। ये लक्षण न सिर्फ आम आदमी बल्कि संन्यासियों, भिक्षुओं और संस्थाओं के प्रमुख को भी भटका देते हैं। इन में, ईर्ष्या और लालच में अनियंत्रित वृद्धि हुई है। आज दुनिया को एक नया आदेश, एक नई शिक्षा प्रणाली, एक नए समाज या एक नयें धर्म की जरूरत नहीं है। पवित्रता हर युवाओं और बच्चों के मन और ह्रदय में विकसित किया जाना चाहिए: यही इस समय की जरूरत है। अच्छे और धर्मी लोगो को इसे बढ़ावा देने की सबसे बड़ी साधना (आध्यात्मिक अभ्यास) करना चाहिए ताकि हर कोई इसे अपनाये।
Evil qualities such as hatred, envy, greed and ostentation should be uprooted. These traits are vitiating not only common people but even ascetics, monks and heads of institutions. Among these, envy and greed have gone unchecked. What the world needs today is not a new order, a new educational system, a new society or a new religion. Holiness must take root and grow in the minds and hearts of youth and children everywhere: this is the need of the hour. The good and godly must endeavour to promote this as the greatest Sadhana (spiritual practice) that everyone must undertake.