श्रीहनुमान जी नैष्ठिक ब्रह्मचारी, व्याकरण के महान पण्डित, ज्ञानि शिरोमणि, परम बुद्धिमान तथा भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त हैं| ये ग्यारहवें रुद्र कहे जाते हैं| भगवान शिव ही संसार को सेवा धर्म की शिक्षा प्रदान करने के लिये श्रीहनुमान के रूप में अवतरित हुए थे| वनराज केशरी और माता अञ्जनी को श्रीहनुमान जी का पिता-माता होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ| भगवान शिव का अंश पवन देव के द्वारा अञ्जनी में स्थापित होने के कारण पवन देव को भी श्रीहनुमान जी का पिता कहा जाता है| जन्म के कुछ समय पश्चात श्रीहनुमान जी सूर्य को लाल-लाल फल समझकर उन्हें निगलने के लिये उनकी ओर दौड़े| उस दिन सूर्य-ग्रहण का समय था| राहु ने देखा कि मेरे स्थान पर आज कोई दूसरा सूर्य को पकड़ने आ रहा है, तब वह हनुमान जी की ओर चला| श्रीहनुमान जी उसकी ओर लपके, तब उसने डरकर इन्द्र से अपनी रक्षा के लिये पुकार की| इन्द्र ने श्रीहनुमान् जी पर वज्र का प्रहार किया, जिससे ये मूर्च्छित होकर गिर पड़े और इनकी हनु की हड्डी टेढ़ी हो गयी| पुत्र को मूर्च्छित देखकर वायु देव ने कुपित होकर अपनी गति बन्द कर दी| वायु के रुक जाने से सभी प्राणियों के प्राण संकट में पड़ गये| अन्त में सभी देवताओं ने श्रीहनुमान जी को अग्नि, वायु, जल आदि से अभय होने के साथ अमरत्व का वरदान दिया| इन्होंने सूर्य नारायण से वेद, वेदाङ्ग प्रभृति समस्त शास्त्रों एवं कलाओं का अध्ययन किया| तदनन्तर सुग्रीव ने इन्हें अपना प्रमुख सचिव बना लिया और ये किष्किन्धा में सुग्रीव के साथ रहने लगे| जब बाली ने सुग्रीव को निकाल दिया, तब भी ये सुग्रीव के विपत्ति के साथी बनकर उनके साथ ऋष्यमूक पर्वत पर रहते थे|
भगवान श्रीराम अपने छोटे भाई लक्ष्मण के साथ अपनी पत्नी सीता जी को खोजते हुए ऋष्यमूक के पास आये| श्रीसुग्रीव के आदेश से श्रीहनुमान् जी विप्रवेश में उनका परिचय जानने के लिये गये| अपने स्वामी को पहचान कर ये भगवान श्रीराम के चरणों में गिर पड़े| श्रीराम ने इन्हें उठाकर हृदय से लगा लिया और श्रीकेशरी कुमार सर्वदा के लिये श्रीराम के दास हो गये| इन्हीं की कृपा से सुग्रीव को श्रीराम का मित्र होने का सौभाग्य मिला| बाली मारा गया और सुग्रीव किष्किन्धा के राजा बने|
सीता शोध, लंकिनी-वध, अशोक वाटिका में अक्षय कुमार-संहार, लंकादाह आदि अनेक कथाएँ श्रीहनुमान जी की प्रखर प्रतिभा और अनुपम शौर्य की साक्षी हैं| लंका युद्ध में इनका अद्भुत पराक्रम तथा इनकी वीरता सर्वोपरि रही| मेघनाद के द्वारा लक्ष्मण के मूर्च्छित होने पर इन्होंने संजीवनी लाकर उन्हें प्राण दान दिया| राक्षस इनकी हुंकार मात्र से काँप जाते थे| रावण की मृत्यु के बाद जब भगवान श्रीराम अयोध्या लौटे, तब श्रीहनुमान जी ने ही श्रीराम के लौटने का शुभ समाचार श्रीभरतजी को सुनाकर उनके निराश जीवन में नवीन प्राणों का सञ्चार किया|
श्रीहनुमान जी विद्या, बुद्धि, ज्ञान तथा पराक्रमी की मूर्ति हैं| जब तक पृथ्वी पर श्रीराम कथा रहेगी, तब तक श्रीहनुमान जी को इस धरा-धाम पर रहने का श्रीराम से वरदान प्राप्त है| आज भी ये समय-समय पर श्रीराम भक्तों को दर्शन देकर उन्हें कृतार्थ किया करते हैं|
शिर्डी के साँई बाबा ग्रुप (रजि.)
शिर्डी के साँई बाबा जी की समाधी और बूटी वाड़ा मंदिर में दर्शनों एंव आरतियों का समय....
"ॐ श्री साँई राम जी
समाधी मंदिर के रोज़ाना के कार्यक्रम
मंदिर के कपाट खुलने का समय प्रात: 4:00 बजे
कांकड़ आरती प्रात: 4:30 बजे
मंगल स्नान प्रात: 5:00 बजे
छोटी आरती प्रात: 5:40 बजे
दर्शन प्रारम्भ प्रात: 6:00 बजे
अभिषेक प्रात: 9:00 बजे
मध्यान आरती दोपहर: 12:00 बजे
धूप आरती साँयकाल: 5:45 बजे
शेज आरती रात्री काल: 10:30 बजे
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निर्देशित आरतियों के समय से आधा घंटा पह्ले से ले कर आधा घंटा बाद तक दर्शनों की कतारे रोक ली जाती है। यदि आप दर्शनों के लिये जा रहे है तो इन समयों को ध्यान में रखें।
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Monday, 27 May 2024
रामायण के प्रमुख पात्र - रामभक्त श्रीहनुमान
रामायण के प्रमुख पात्र - रामभक्त श्रीहनुमान
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बाबा के 11 वचन
ॐ साईं राम
1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य
.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....
1. जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा
2. चढ़े समाधी की सीढी पर, पैर तले दुःख की पीढ़ी कर
3. त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौडा आऊंगा
4. मन में रखना द्रढ विश्वास, करे समाधी पूरी आस
5. मुझे सदा ही जीवत जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो
6. मेरी शरण आ खाली जाए, हो कोई तो मुझे बताए
7. जैसा भाव रहे जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मनका
8. भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा
9. आ सहायता लो भरपूर, जो माँगा वो नही है दूर
10. मुझ में लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया
11. धन्य-धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य
.....श्री सच्चिदानंद सदगुरू साईनाथ महाराज की जय.....
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुवः॒ स्वः॒
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥
Word Meaning of the Gayatri Mantra
ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe
these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation
धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"
dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God
भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।
Simply :
तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।
The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.
तत्स॑वितुर्वरे॑ण्यम्
भ॒र्गो॑ दे॒वस्य॑ धीमहि।
धियो॒ यो नः॑ प्रचो॒दया॑त्॥
Word Meaning of the Gayatri Mantra
ॐ Aum = Brahma ;
भूर् bhoor = the earth;
भुवः bhuwah = bhuvarloka, the air (vaayu-maNdal)
स्वः swaha = svarga, heaven;
तत् tat = that ;
सवितुर् savitur = Sun, God;
वरेण्यम् varenyam = adopt(able), follow;
भर्गो bhargo = energy (sin destroying power);
देवस्य devasya = of the deity;
धीमहि dheemahi = meditate or imbibe
these first nine words describe the glory of Goddheemahi = may imbibe ; pertains to meditation
धियो dhiyo = mind, the intellect;
यो yo = Who (God);
नः nah = our ;
प्रचोदयात prachodayat = inspire, awaken!"
dhiyo yo naha prachodayat" is a prayer to God
भू:, भुव: और स्व: के उस वरण करने योग्य (सूर्य) देवता,,, की (बुराईयों का नाश करने वाली) शक्तियों (देवता की) का ध्यान करें (करते हैं),,, वह (जो) हमारी बुद्धि को प्रेरित/जाग्रत करे (करेगा/करता है)।
Simply :
तीनों लोकों के उस वरण करने योग्य देवता की शक्तियों का ध्यान करते हैं, वह हमारी बुद्धि को प्रेरित करे।
The God (Sun) of the Earth, Atmosphere and Space, who is to be followed, we meditate on his power, (may) He inspire(s) our intellect.