शिर्डी के साँई बाबा ग्रुप (रजि.)

Saturday, 2 December 2023

श्री गुरु अमर दास जी – साखियाँ - काबुल की एक पति-व्रता माई

श्री गुरु अमर दास जी – साखियाँ - काबुल की एक पति-व्रता माई


बाउली की कार सेवा में भाग लेने के लिए सिख बड़े जोश के साथ दूर दूर से आने लगे| इस तरह काबुल में एक प्रेमी सिख की पति व्रता स्त्री को पता लगा|

वह प्रातः काबुल से चलकर कार सेवा करती और सायंकाल काबुल पहुँच जाती| कुछ सिखो ने माई को सेवा करते हुए हाथ से संकेत करते देखा| कुछ दिन इसी तरह ही बीत गये तो एक दिन सिखो ने गुरु जी को कहा महाराज! एक माई रोज सुबह संगतो के साथ सेवा करती है और रात के समय देखते ही देखते लुप्त हो जाती है| एक और बात भी यह माई करती है कि कार सेवा करती करती अपना हाथ पलकर पीछे कर लेती है ऐसा लगता है कि जैसे किसी चीज़ को हिला रही हो| हमें समझ नहीं आता कि यह माई कौन है|

गुरु अमरदास जी ने माई को अपने पास बुलाया और पूछा कि तुम कहाँ से आती हो? और काम करते करते हाथ से किस चीज़ को हिलती हो? माई ने बताया में सुबह काबुल से आती हूँ और कर सेवा करके शाम को घर चली जाती हूँ| गुरु जी ने कहा यह शक्ति तुम कहाँ से लाईहो माई ने कहा महाराज! यह शक्ति मैंने अपने पति व्रता धर्म से पाई है| इसी के बल से में काबुल से आती हूँ और वापिस चली जाती हूँ| सुबह आते समय में अपने छोटे बच्चे को पंघूढ़े में सुला आती हूँ और यहाँ हाथ मारकर पंघूढ़े को हिलती रहती हूँ| जिससे यह सोया रहता है और खेलता ही रहता है|

माई से यह सुनकर सिखो ने उसे धन्ये माना और गुरु जी ने कुश होकर पति - पत्नी के लोक परलोक सुहेला कर दिया|