माँ दुर्गा जी के चौथे स्वरूप का नाम कूष्मांडा है।
अपनी मंद हलकी हंसी द्वारा अंड अर्थात ब्रम्हांड को उत्पन करने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से अभिहित किया गया है। जब सृष्टि का आस्तित्व नहीं था, चारों ओर अन्धकार ही अन्धकार था, तब इन्ही देवी ने अपने हास्य से सृष्टि की रचना की थी। इस कारण यही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदि-शक्ति हैं। इनसे पूर्व ब्रम्हांड का आस्तित्व था ही नहीं।
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This is also a kind of SEWA.
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