ॐ सांई राम
एक दिन दुपहर ढलने के समय गुरु जी (श्री गुरू नानक देव जी) पेड़ की छाया के नीचे चादर बिछा कर लेट गए| उस वक्त सब वृक्षों की छाया ढल चुकी थी पर जहां गुरु जी (श्री गुरू नानक देव जी) लेटे हुए थे उस वृक्ष का परछावां ज्यों का त्यों खड़ा था| दो घडी उपरांत अपने खेतों की रखवाली करता राये बुलार आ उधर आ गया गया| यह दृश्य देख कर वह दंग रह गया| उसने अपने आदमियों को बताया कि जिस वृक्ष के नीचे गुरु जी लेटे है उस वृक्ष का परछावां जियों का तियों खड़ा है, यह निशचय ही कोई अवतार है जो अपने आप को प्रगट नहीं करना चाहते|
इस से पहले भी यह कौतक देखा था कि एक साँप अपने फन के साथ छाया कर रहा था| इस प्रकार कि शलाघा करता हुआ राये बुलार आप जी को नमस्कार करता हुआ घर कि और बढ़ इस से पहले भी यह कौतक देखा था कि एक साँप अपने फन के साथ छाया कर रहा था| इस प्रकार कि शलाघा करता हुआ राये बुलार आप जी को नमस्कार करता हुआ घर कि और बढ़ गया|