शिर्डी के साँई बाबा ग्रुप (रजि.)

Tuesday, 31 January 2023

श्री गुरु रामदास जी जीवन-परिचय

ॐ सांई राम जी


श्री गुरु रामदास जी जीवन-परिचय

 

प्रकाश उत्सव (जन्म की तारीख): 24 सितम्बर 1534
Parkash Ustav (Birth date):  September 24, 1534 
पिता: बाबा हरि दास
Father: Baba Hari Das 
माँ: माता दया कौर
Mother: Mata Daya Kaur 
महल (पति या पत्नी): बीबी भानी
Mahal (spouse): Bibi Bhani 
साहिबज़ादे (वंश): प्रिथी चंदमहादेव और अर्जुन देव
Sahibzaday (offspring): Prithi Chand, Mahadev and Arjun Dev 
ज्योति ज्योत (स्वर्ग करने के उदगम): गोइंदवाल में सितम्बर 1581
Joti Jyot (ascension to heaven): September 1, 1581 at Goindwal 


श्री गुरु रामदास जी  का जन्म श्री हरिदास मल जी सोढी व माता दया कौर जी की पवित्र कोख से कार्तिक वदी संवत 1561 को बाज़ार चूना मंडी लाहौर में हुआइनके बचपन का नाम जेठा जी थाबालपन में ही इनकी माता दया कौर जी का देहांत हो गयाजब आप सात वर्ष के हुए तो आप के पिता श्री हरिदास जी भी परलोक सिधार गएइस अवस्था में आपको आपकी नानी अपने साथ बासरके गाँव में ले गईबासरके आपके ननिहाल थेयहाँ आकर आप भी अन्य क्षत्री बालकों की तरह घुंगणियाँ (उबले हुए चने) बेचते थेजब श्री गुरु अमरदास जी चेत्र सुदी संवत 1608 में गुरुगद्दी पर आसीन हुए तो आप जेठा जी का और भी ख्याल रखते थेआपकी सहनशीलतानम्रता व आज्ञाकारिता के भाव देखकर गुरु अमरदास जी ने अपनी छोटी बेटी की शादी 22 फागुन संवत 1610 को जेठा जी (श्री गुरु रामदास जी) से कर दीश्री रामदास जी के घर तीन पुत्र पैदा हुए: 

· श्री बाबा प्रिथी चँद जी संवत 1614 में 

· श्री बाबा महादेव जी संवत 1617 में 

· श्री (गुरु) अर्जन देव जी वैशाख 1620 में 

विवाह के बाद भी श्री (गुरु) रामदास जी पहले की तरह ही गुरु घर के लंगर और संगत की सेवा में लगे रहते|

बीबी भानी अपने गुरु जी की बहुत सेवा करतीप्रातःकाल उठकर अपने गुरु पिता को गरम पानी के साथ स्नान कराती और फिर गुरुबाणी का पाठ करके लंगर में सेवा करतीएक दीन बीबी ने देखा कि चौकी का पावा टूट गया है जिसपर बैठकर गुरु जी स्नान करते हैंउस पावे के नीचे बीबी ने अपना हाथ रख दिया ताकि गुरु जी के वृद्ध शरीर को चोट ना लगेबीबी के हाथ में पावे का कील लग गया और खून बहने लगाजब गुरु जी स्नान करके उठे तो बीबी से बहते खून का कारण पूछाबीबी ने सारी बात गुरु जी को बताईबीबी की बात सुनकर गुरु जी प्रसन्न हो गए और आशीर्वाद देने लगे कि संसार में आपका वंश बहुत बढ़ेगा जिसकी सारा संसार पूजा करेगा|