शिर्डी के साँई बाबा ग्रुप (रजि.)

Sunday, 29 January 2023

श्री गुरु अमर दास जी–साखियाँ - मृत राजकुमार को जीवित करना

ॐ सांई राम जी


श्री गुरु अमर दास जीसाखियाँ - मृत राजकुमार को जीवित करना

एक दिन बल्लू आदि सिखो ने गुरु जी से बिनती की महाराज! अनेक जातियों के लोग यहाँ दर्शन करने आतें हैं पर उनके रहने के लिए कोई खुला स्थान नहीं हैइसलिए कोई खुला माकन बनाना चाहिएयह विनती सुनकर गुरु जी ने बाबा बुड्डा जी व अपने भतीजे सावण मल के साथ पांच सिखों को रियासत हरीपुर के राजा के पास भेजा और कहा वहाँ से मकानों के लिए लकड़ी के गठे बांधकर ब्यास नदी के रास्ते से भेजने का प्रबंध करोसावण मल ने कहा महाराज! पहाड़ी लोग गुरु की पूजा करने वाले नहीं हैं वे मूर्ति पूजक हैंलकड़ी खरीदने के लिए बहुत सा धन चाहिएगुरु जी ने कहा कि सब शक्तियाँ ही आपके अधीन होंगी तुम जिस तरह भी चाहोगे उनका प्रयोग करके राजा को गुरु घर का प्रेमी बना लेना फिर वह अपने आप ही आपकी जरूरत को पूरा कर देगायह बात कहकर गुरु जी ने अपने हाथ का रुमाल सावण मल को देते हुए कहा कि इसको हाथ में पकड़कर तुम जी कुछ भी चाहोगे वो हो जायेगाआपकी इच्छा यह रूमाल पूरी करेगारूमाल लेकर सावण मल अपने साथ पांच सिखो को हरीपुर ले गयाउस दिन एकादशी का व्रत था जिसमे राजे की तरफ से आज्ञा थी कि कोई अन्न को हाथ ना लगायेपरन्तु सावण मल और उसके साथियों ने प्रसाद तैयार करके खाया और आने वाले को भी दियाराजे को खबर हुई तो उसने अन्न खाने व व्रत ना रखने का कारण पूछासावण मल ने कहा गुरु जी का लंगर सदैव ही चलता रहता हैवह किसी भी तरह के भ्रमों में विश्वाश नहीं रखतेयह उत्तर सुनकर राजा के गुरु एक बैरागी साधु ने कहा इनको कैद कर लोअपने गुरु के कहने पर राजे ने सावण मल को कैद कर लिया|

दूसरे ही दिन राजे के पुत्र को हैजा हो गया और वह मृत्यु को प्राप्त हो गयामंत्री ने कहा आपने गुरु के निर्दोष सिख को कैद किया हैयह उन्ही के निरादर का फल है जिससे राजकुमार को मौत हासिल हुई हैशीघ्र ही कैद से निकालकर क्षमा मांगोराजे ने ऐसा ही किया तब सावण मल ने कहा अगर राजा गुरु का सिख बन जाये तो मैं उसके पुत्र को जीवित कर दूँगाजब राजे को इस बात का पता लगा तो उसने कहा अगर मेरा पुत्र जीवित हो गया तो मैं और मेरा परिवार गुरु जी के सिख बन जायेगेंजब सावण मल को महल में बुलाया गया तब सावण मल ने राजे को कहा आप चुपचाप बैठकर सत्य नाम का स्मरण करो और रोना - धोना बंद कर दोइसके पश्चात सावण मल ने जपुजी साहिब का पाठ मृत लड़के के पास जाकर करना शुरू कर दिया और गुरु जी के रूमाल का कोना धोकर लड़के के मुँह में डाला और फिर रूमाल पकड़कर उसके सिर पर सत्य नाम कहते हुए घुमाया तो राजकुमार उठ कर बैठ गयागुरु जी के ऐसे कौतक को देखकर राजा व रानी सावण मल के चरणों में गिर पड़ेउसने सावण मल को बहुत सा धन और वस्त्र भी भेंट कियेइसके पश्चात सारे रियासत के लोग ही गुरु के सिख बन गये|

दो चार दिन तो खुशी में ही बीत गयेतो एक दिन राजे ने सावण मल को यहाँ आने का करण पूछासावण मल ने कहामहाराज! ब्यास नदी के किनारे गोइंदवाल नगर में गुरु अमरदास जी रहतें हैं उनके दर्शन करने के लिए दूर दूर से सिख सेवक आते हैंउनके लिए मकान बनवाने के लिए बहुत सी लकड़ी की जरूरत हैराजे ने उसी समय अपने आदमियों को हुकुम दिया कि मकानों में काम आने वाली दियार आदि लकड़ी काटकर उनके बेड़े पर बांधकर ब्यास में तैरा दोइस प्रकार बहुत सी लकड़ी गोइंदवाल पहुँच गईउसी समय सावण मल को गुरु जी की बात याद आ गई और ऐसे कौतक को देखकर वह मन ही मन गुरु की उपमा करने लगे|