शिर्डी के साँई बाबा ग्रुप (रजि.)

Monday, 17 October 2022

श्री साईं लीलाएं - रामनवमी के दिन शिरडी का मेला

 ॐ सांई राम


कल हमने पढ़ा था.. श्री साईं विट्ठल का दर्शन देना      

श्री साईं लीलाएं - रामनवमी के दिन शिरडी का मेला
     

साईं बाबा के एक भक्त कोपर गांव में रहते थेउनका नाम गोपालराव गुंड थाउन्होंने संतान न होने के कारण तीन-तीन विवाह कियेफिर भी उन्हें संतान सुख प्राप्त न हुआअपनी साईं भक्ति के परिणामस्वरूप उन्हें साईं बाबा के आशीर्वाद से एक पुत्र संतान की प्राप्ति हुईपुत्र संतान पाकर उनकी खुशी का कोई ठिकाना न रहा|



गोपालराव गुंड को सन् 1897 में पुत्र की प्राप्ति हुई थीपुत्र-प्राप्ति की खुशी में उनके मन में यह विचार आया कि शिरडी में उन्हें कोई मेला या उर्स अवश्य लगवाना चाहिएअपने इस विचार के बारे में उन्होंने शिरडी में रहने वाले साईं भक्त तात्या पाटिलदादा कोते पाटिलमाधवराज आदि से मिलकर उन्हें अपने विचारों से अगवत करायाउन सभी को यह विचार बड़ा पसंद आयाफिर उन्हें इस बारे में साईं बाबा की अनुमति और आश्वासन भी मिल गयालेकिन मेला लगाने के लिए सरकारी अनुमति प्राप्त करना भी आवश्यक थाफिर इसके लिए एक पत्र कलेक्टर को भेजा गयापरन्तु गांव के पटवारी ने उस पर अपनी आपत्ति जता दीइसलिए अनुमति नहीं मिल सकी|

इसके बारे में साईं बाबा की अनुमति पहले ही प्राप्त हो चुकी थीअत: इसके बारे में एक बार फिर से कोशिश की गयीइस बार सरकारी अनुमति बिना किसी परेशानी के मिल गयीइस तरह से साईं बाबा की आज्ञा से रामनवमी वाले दिन उर्स भरने का निर्णय हुआरामनवमी के दिन उर्स भरना हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतीक थायह अद्देश्य पूर्ण रूप से सफल रहाइस अवसर पर कच्ची दुकानें बनाई गईं और कुश्तियां भी आयोजित की गईंरामनवमी वाले दिन साईं बाबा का पूजनभजनगायनवाद्य यंत्रों की मधुर ध्वनि के साथ ध्वजों को लहराते हुए संचालन किया गयाउस दिन शिरडी में सभी दिशाओं से तीर्थयात्रा इस उत्सव को मनाने के लिए शिरडी में आये|

गोपालराव गुंड के एक मित्र घमूअण्णा कासार जो अहमदनगर में रहा करते थेवे भी नि:संतान थेउन्हें भी साईं बाबा के आशीर्वाद से पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई थीइसलिए गोपालराव ने उनसे भी उर्स के लिए एक ध्वज देने को कहाएक अन्य ध्वज जागीरदार नाना साहब निमोलकर ने दियादोनों ध्वजों को बड़े धूमधाम के साथ पूरे गांव से निकालने के बाद मस्जिद तक पहुंचा दिया गयाफिर उन्हें मस्जिद के दोनों कोनों पर फहरा दिया गयातब से लेकर यह परम्परा आज तक उसी तरह से चली आ रही हैसन् 1911 से इस मेले में राम-जन्म का उत्सव भी मनाया जाने लगा है|


कल चर्चा करेंगे..मस्जिद का पुनः निर्माण और बाबा का गुस्सा
ॐ सांई राम

ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं

बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।