शिर्डी के साँई बाबा ग्रुप (रजि.)

Sunday, 23 December 2018

इक तेरा दर ही काफी है




जन्नत की आरजू है किसे
इक तेरा दर ही काफी है
हर पापी को मिलती मुक्ति यहाँ
हर सजा की मिलती माफी हैं

करूँ सजदे तेरी चौखट पर
टेँकू माथा मैं यहाँ बारम्बार
तेरी लीला हैं बड़ी निराली
तेरी महिमा अपरम्पार

कहते हैं दुनिया वाले मुझको तेरा दिवाना
तू ही एक शमां है और मैं तेरा परवाना
मुझको ललक लगी तेरी लौ की ऐसी
चाहूँगा मैं इसमें बार बार जल जाना