ॐ सांई राम
कोई कहे मुझे कमली कमली कोई कहे दीवानी
मैं साईं में साईं मुझमें यह प्रीत पड़ी समझानी
बालों में गजरा हाथों में कंगना पांवों में घुँघरू बांधूंगी
मैं तो साईं की दीवानी बन नाचूंगी
अखियों में कजरा माथे पे बिंदिया सर पे चुनरियाँ बांधूंगी
मैं तो साईं की दीवानी बन नाचूंगी
मैं साईं की साईं मेरे चिट्ठियाँ लिख लिख बाँटूँगी
मैं तो साईं की दीवानी बन नाचूंगी
माने न माने तुझे सारा ज़माना इक बस बस मैं मानूंगी
मैं तो साईं की दीवानी बन नाचूंगी
बालों में गजरा हाथों में कंगना पांवों में घुँघरू बांधूंगी
मैं तो साईं की दीवानी बन नाचूंगी
मैं साईं में साईं मुझमें यह प्रीत पड़ी समझानी
बालों में गजरा हाथों में कंगना पांवों में घुँघरू बांधूंगी
मैं तो साईं की दीवानी बन नाचूंगी
अखियों में कजरा माथे पे बिंदिया सर पे चुनरियाँ बांधूंगी
मैं तो साईं की दीवानी बन नाचूंगी
मैं साईं की साईं मेरे चिट्ठियाँ लिख लिख बाँटूँगी
मैं तो साईं की दीवानी बन नाचूंगी
माने न माने तुझे सारा ज़माना इक बस बस मैं मानूंगी
मैं तो साईं की दीवानी बन नाचूंगी
बालों में गजरा हाथों में कंगना पांवों में घुँघरू बांधूंगी
मैं तो साईं की दीवानी बन नाचूंगी