श्रध्दा और सबूरी की पिचकारी
मोहे साँई तूने ऐसी मार डारी
तन मन तेरे नाम रंगा कर
घुमूं बन कर मैं अब बावरी
और कोई रंग अब चढ़े ना मुझ पर
तेरी उदी ने गुलाल की जगह ले डारी
टोली तेरे दीवानों की तेरे नाम रंगी
हर होली बख्शना जिसमें हो तेरे संगी
देव सभी मनायें मिलकर
खुशियों का यह त्यौहार
श्रध्दा सबूरी की हो वर्षा
पायें साँई कृपा की बौछार