शिर्डी के साँई बाबा ग्रुप (रजि.)

Monday, 21 December 2015

एक अरदास

नंगे नंगे पाँव था जब अकबर आया
माँ जग जननी को था अजमाया
मुझमें नहीं कुछ ऐसी धारणा खास
रहना चाहूँ बन दासों का मैं दास
हरपल मांगू खैर मैं सभी की
निकले मुख से हर दम ये अरदास