शिर्डी के साँई बाबा ग्रुप (रजि.)

Tuesday, 4 August 2015

साँईं जी की लीला, साँईं जी ही जाने

मेरी चमड़ी की बने साँईं पादुका
तर जाये जीवन छू चरण कमल
नाज़ करें पादुकायें पा साँईं आशीष
जीवन संवरे ज्यूँ झरना करे कल-कल

सांसो की नहीं तमन्ना
जरूरत साँईं नाम की हैं
दुख कभी बैरी नहीं होते
सच्चा सुख साँईं धाम ही है

क्यों करूं फिक्र मैं एक रूपया खोने की
साँईं ने जो बख्शी हैं मुझे खान सोने की

मेहनत से कमाया रूपया
खोये तो दुख होता है 
भले तिजोरियों में रूपया
बेशुमार होता है |