कर्मों की गति जान सके ऐसे हैं साँईं जिसने ध्याया श्रध्दा पूर्वक विपदा नहीं सताई कर्म नहीं गर तेरे उजले सरके धरती पांव तले कर सेवा निष्ठ भाव से वर्ना रहे फिर हाथ मले