लिख लिख कर बही खाते हम साँईं नाम लिखने लगे दुनिया में कभी अकेले थे अब साँईं संगत में दिखने लगे
जो रिश्ता हो गर जानना तो केवल बुरे वक्त में आजमाये दिखावटी पास ना आयेगा साँईं दास सदा होंगे सहाये