आज दिन खुशियों का आया
आया आज मेरे साँईं का वार
रहमते साँईं की बरसती रहे
रहे सदा सुखी ये परिवार
मैं हूँ पापी निपढ़ गंवार
कैसे साँईं तेरी शोभा गाऊँ
तू खींचे डोर मेरे पैरों में बंधी
मैं चिड़िया सा उड़ता आऊं
जब जब देखूँ बाबा को
धारण मोर मुकुट सिर पर
फकीर शहंशाह बनता देखूँ
कर दे नज़र अब इस दास पर
आठों दिशाओं में आठों याम
तेरे नाम का चर्चा साँईं हुआ आम
दूर ना जा इक पल भी मुझसे
ओ निर्मोही आजा मेरी बहियाँ थाम
मात पिता की सेवा के
जब जब बीज तू बोये
खुशियाँ झोली में आ बैठे
दुख देख के तुझको रोये