शिर्डी के साँई बाबा ग्रुप (रजि.)

Thursday, 30 April 2015

मन की पीड़ा

क्या दुख तेरा क्या दुख मेरा
पीड़ सभी की एक ही समान
अपनी पीड़ा कम करने को
पहले दूजे की पीड़ा ले जान

दुख की ना परिभाषा कोई
दर्द ना जाने भाषा कोई
जो समझे दुख किसी और का
उसकी अंतर्आत्मा रोई

दुख दर्द कम होते हैं
दूजो को मरहम लगाने से
मिट जाते हैं गिले शिकवे
मित्रों को गले लगाने से