शिर्डी के साँई बाबा ग्रुप (रजि.)

Tuesday, 10 May 2011

मैं सजाता था साईं दरबार की महफ़िलें

ॐ सांई राम

 
मैं सजाता था साईं दरबार की महफ़िलें
मुझ को हर ग़म से साईं जी ने बरी कर दिया
ज़िक्र-ए-साईं दरबार की हैं बड़ी बरकतें
जब लिया नाम-ए-साईं मैंने दुआ से पहले
हो गयी मुझ पे अता मेरी खता से पहले
जितना दिया साईं दरबार ने मुझ को,
उतनी तो मेरी औकात नहीं  थी
अरे यह तो करम है उस साईं का
वरना मुझ में तो ऐसी कोई बात ना थी
इस करम का करून शुक्र कैसे अदा
जो करम मुझ पे मेरे साईं जी ने कर दिया

अंत में निकला ये परिणाम, ये परिणाम,
राम से बड़ा राम का नाम..

सिमरिये नाम रूप बिनु देखे,
कौड़ी लगे ना दाम.
नाम के बांधे खिंचे आयेंगे,
आखिर एक दिन राम.
राम से बड़ा राम का नाम

जिस सागर को बिना सेतु के
लांघ सके ना राम.
कूद गये हनुमान उसी को,
लेकर राम का नाम.
राम से बड़ा राम का नाम

वो दिलवाले डूब जायेंगे
जिनमें नहीं है नाम
वो पत्थर भी तैरेंगे जिन पर
लिखा हुआ श्री राम.
राम से बड़ा राम का नाम !!
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